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BJP, Congress Trade Barbs Over Law and Order in Poll-Bound States

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Protesters hold placards demanding better law and order in India.

The BJP and Congress are trading barbs over law and order in poll-bound states. The BJP has accused the Congress of being responsible for the deteriorating law and order situation in the country, while the Congress has hit back, saying that the BJP is only interested in making false promises.

The issue of law and order is a major one in India, and it is likely to be a key factor in the upcoming elections. The BJP is hoping to capitalize on the public’s dissatisfaction with the law and order situation, while the Congress is hoping to convince voters that it is the only party that can provide them with security.

The BJP has been in power at the Centre for the past eight years, and it has been criticized for its handling of law and order. The party has been accused of failing to take action against criminals and terrorists, and of allowing the spread of communal violence.

The Congress has also been criticized for its handling of law and order. The party was in power at the Centre for 10 years before the BJP came to power, and it has been accused of being soft on crime.

The issue of law and order is a complex one, and there is no easy solution. However, it is clear that it is a major concern for the Indian people, and it is likely to be a key factor in the upcoming elections.

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बिहार में आज SLBC की महत्वपूर्ण बैठक, सीडी रेशियो और किसान क्रेडिट कार्ड पर होगा मंथन

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बिहार में बैंकों के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए एसएलबीसी की तीन तिमाही बैठकें एक साथ होंगी। वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने बैंकों के कम सीडी रेशियो पर चिंता जताई है। राज्य में 60 प्रतिशत से कम है सीडी रेशियो। 1.61 करोड़ किसानों में से केवल 13 लाख ही केसीसी धारक हैं। बैठक में आर्थिक विकास से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होगी।

 बैंकों के सहयोग के बिना कोई अर्थव्यवस्था मजबूत हो ही नहीं सकती। आर्थिक संभावनाओं का आकलन करने के साथ बैंक ऋण आदि के रूप में जो सहयोग करते हैं, उसका लेखा-जोखा राज्य-स्तरीय बैंकर्स समिति रखती है। इस समिति की बैठक प्रति तिमाही होती है।

एक साथ होंगी तीन तिमाही बैठक

सोमवार को एक साथ तीन तिमाही (90वीं से 92वीं) की बैठक होनी है। नाबार्ड के राज्य फोकस पेपर को लांच करते हुए उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी द्वारा बैंकों के प्रति जताए गए क्षोभ से स्पष्ट होता है कि बिहार में साख-जमा अनुपात (सीडी रेशियो) सरकार की अपेक्षा के अनुरूप नहीं है।

अभी यह 60 प्रतिशत से कम ही है, जबकि सरकार को बैंकों से इससे अधिक की अपेक्षा थी। एसएलबीसी राज्य में बैंकरों की सर्वोच्च संस्था है। प्रति तिमाही इसकी बैठक की परंपरा रही है।

संस्थागत ऋण की समीक्षा के अलावा तिमाही बैठकों में राज्य के आर्थिक विकास से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा होती है। वित्त विभाग के नेतृत्व में संबंधित विभागों के साथ होने वाली उस चर्चा में बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

डिप्टी सीएम ने बैंकों को दी चेतावनी

  • वर्ष 2023-24 के अंतिम तिमाही की बैठक 2024 के जून में हुई थी। वह 88वीं और 89वीं एसएलबीसी की संयुक्त बैठक थी।
  • उसमें वर्ष 2023-24 के दिसंबर और मार्च तिमाही के लक्ष्य और लक्ष्य प्राप्ति पर चर्चा हुई थी। सम्राट चौधरी ने तब भी बैंकों को लक्ष्य के अनुरूप प्रदर्शन की चेतावनी दी थी।

कम हो रहा बैंकों का ऋण

बैंकों ने भरसक प्रयास भी किया, लेकिन एनपीए की आशंका में वे कई अवसरों पर संकोच कर गए। व्यावसायिक बैंकों द्वारा ऋण देने में आनाकानी के कारण ही राज्य में एनबीएफसी और एमएफआइ लेंडिंग बढ़ रही है। कृषि व सहवर्ती क्षेत्र में बैंकों का ऋण कम हो रहा है और एनबीएफसी और एमएफआइ की उपस्थिति बढ़ रही है।

प्रदेश में केवल 13 लाख किसान क्रेडिट कार्ड धारक

  • उनका खाता भी एनपीए नहीं हो रहा। ऐसे में बैंकों को यह विचार करने की सलाह दी जाएगी कि उनके प्रयास में कहां और क्या कमी रह जा रही।
  • इस कमी का एक उदाहरण किसान क्रेडिट कार्ड है। बिहार में 1.61 करोड़ किसान हैं, लेकिन सक्रिय रूप से किसान क्रेडिट कार्ड धारकों की संख्या मात्र 13 लाख है।
  • चालू वित्तीय वर्ष में अभी तक 5.50 लाख किसान ही केसीसी से लेन-देन किए। यह स्थिति तब है, जबकि केंद्र सरकार ने केसीसी की अधिसीमा को तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख कर दी है।

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Bihar Politics:  संजय यादव ने बिहार के अगले CM को लेकर की बड़ी भविष्यवाणी, कहा- राजनेता बनने की…

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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी गलियारों में बयानबाजी भी तेज हो गई है। हाल ही में झारखंड से एक मात्र राजद कोटे के मंत्री संजय यादव ने राजद सुप्रीमो लालू यादव से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि लालू जैसा राजनेता बनने की क्षमता केवल तेजस्वी में ही है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि तेजस्वी यादव बिहार के अगले सीएम बनेंगे।

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी गलियारों में बयानबाजी भी तेज हो गई है। हाल ही में झारखंड से एक मात्र राजद कोटे के मंत्री संजय यादव ने राजद सुप्रीमो लालू यादव से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कहा कि लालू जैसा राजनेता बनने की क्षमता केवल तेजस्वी में ही है। साथ ही उन्होंने दावा किया कि तेजस्वी यादव बिहार के अगले सीएम बनेंगे।

झारखंड में विधानसभा चुनाव के बाद इस साल अक्टूबर-नवंबर महीने में बिहार में भी विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके पहले NDA और महागठबंधन दोनों दलों के नेता सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं।

इस बीच शुक्रवार को झारखंड में राजद कोटे के एकमात्र मंत्री संजय यादव ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने बिहार के अगले CM को लेकर भी बड़ा दावा किया।

तेजस्वी यादव बिहार के अगले मुख्यमंत्री : संजय यादव

शुक्रवार को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से भेंट-बात के बाद झारखंड के मंत्री संजय यादव ने तेजस्वी यादव को बिहार का अगला मुख्यमंत्री बताया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक कहानी के अंत की भविष्यवाणी करते हुए उन्होंने कहा कि लालू कोई तांत्रिक नहीं हैं, जो इसके लिए जादू-टोना करेंगे।

मोदी को उनकी जुमलेबाजी ही ले बैठेगी। उल्लेखनीय है झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाली सरकार में संजय यादव राजद कोटे से एकमात्र मंत्री हैं।

बिहार में होगा बदलाव

  • लालू से मिलने के लिए संजय अपने सहयोगियों के साथ राबड़ी आवास पहुंचे थे। बाहर निकलने पर उन्होंने दावा किया कि बिहार में इस बार महागठबंधन की सरकार बनेगी।
  • जनता ने परिवर्तन की ठान ली है। पूरा बिहार और विशेषकर युवा इस बार तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का मन बना चुके हैं।

लालू से मुलाकात को बताया व्यक्तिगत

मुलाकात के कारण से संबंधित प्रश्न पर उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद पार्टी के नेता के साथ हम सबके अभिभावक भी हैं। उनसे मेरी मुलाकात व्यक्तिगत थी।

लालू राजनेता हैं और बिहार में उनके जैसे राजनेता बनने की क्षमता एकमात्र तेजस्वी यादव में है।

पीएम नरेंद्र मोदी के भागलपुर दौरे पर कटाक्ष

सत्ता में रहते हुए उन्होंने कई लाख युवाओं को नौकरी दी। उनसे प्रभावित युवा महागठबंधन की सरकार बनाने की ठान चुके हैं। प्रधानमंत्री के भागलपुर दौरे के संदर्भ में संजय ने कहा कि उनकी हवा अब बंद हो गई है।

गोड्डा में भी तो वे चुनाव प्रचार के लिए गए थे। परिणाम सभी जानते हैं। वे बिहार आ रहे हैं, लेकिन यहां की जनता अब उनके झांसे में नहीं आने वाली।

लालू यादव का दावा

विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 27 साल बाद जीत हासिल की है। इसके बाद इस बात के भी कयास लगने शुरू हो गए कि इसका असर बिहार विधानसभा चुनाव पर भी देखने को मिलेगा।

हाल ही में राजद सुप्रीमों ने भी इस बात का दावा किया था कि बिहार में दिल्ली की जीत-हार का कोई असर नहीं होगा।

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Bihar Politics: तेजस्वी यादव घोड़े पर, नीतीश कछुए की चाल में! बिहार में पोस्टर ने मचाया बवाल

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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले राजद नीतीश सरकार पर हमलावर है। हाल ही में एक कार्यकर्ता द्वारा राजद कार्यालय और पूर्व सीएम राबड़ी देवी के आवास के बाहर एक पोस्टर लगाया गया है। इस पोस्टर में तेजस्वी यादव घोड़े पर सवार नजर आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर सीएम नीतीश कुमार कछुए पर सवार हैं। पोस्टर की आड़ में राजद ने प्रदेश सरकार पर कटाक्ष किया है।

 बिहार की राजनीति में इन दिनों घोड़े और कछुए की चर्चा काफी तेज है। इसकी वजह राजद प्रदेश कार्यालय और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सरकारी आवास के बाहर लगा एक पोस्टर है। इस पोस्टर में तेजस्वी यादव को दौड़ते हुए घोड़े पर बैठे हुए दिखाया गया है। वहीं, सीएम नीतीश कुमार कछुए की पीठ पर बैठे हुए हैं।

नीतीश सरकार पर कटाक्ष

इसके निहितार्थ भले ही राजनीतिक हो, लेकिन व्यक्तिगत रूप से यह नीतीश कुमार और उनकी सरकार पर कटाक्ष है। इस पोस्टर में राजद नेता तेजस्वी यादव को तुलनात्मक रूप से नीतीश से तेज बताया जा रहा है।

अनजान से एक कार्यकर्ता (ऋषि) द्वारा यह पोस्टर राजद के प्रदेश कार्यालय के साथ पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सरकारी आवास के बाहर लगाया गया है।

पोस्टर में हाथ में लालटेन लिए तेजस्वी सरपट दौड़ते घोड़े पर सवार दिखाए गए हैं और सामने 2025 के मील का पत्थर प्रदर्शित है।कछुए पर सवार नीतीश की गर्दन से कुर्सी लटक रही और उनका चित्रण तेजस्वी के पीछे है। पोस्टर में लिखा है कि वहीं 17 महीनों वाली तेजतर्रार तेजस्वी सरकार आ रही है।महागठबंधन की 17 महीने वाली सरकार में तेजस्वी उप मुख्यमंत्री हुआ करते थे। उसी दौरान जाति आधारित गणना भी हुई और नौकरियों का पिटारा भी खुला। यद्यपि राजद अब इसका अकेले श्रेय लेने की होड़ में है, लेकिन उस सरकार के मुखिया भी नीतीश ही थे।

नीतीश सरकार को घेरने का प्रयास

नौकरियां अब भी दी जा रहीं और हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से जाति आधारित गणना के आधार पर आरक्षण की बढ़ाई गई सीमा अमान्य हो चुकी है।इसके बावजूद राजद उन मुद्दों के आधार पर सरकार को घेरने का प्रयास कर रहा है। पार्टी कार्यालय के बाहर आए दिन लगाए जाने वाले पोस्टरों में जदयू-भाजपा और नीतीश कुमार-नरेन्द्र मोदी पर गहरा व्यंग्य होता है। अभी लगा पोस्टर उसी की एक कड़ी है।

चुनाव के नजदीक आते ही और बढ़ेगा पोस्टर वार

मुख्यालय में प्रतिदिन उपस्थित रहने वाले पार्टी पदाधिकारियों का कहना है कि ऐसा उपक्रम प्राय: नेतृत्व की नजरों में आने के लिए होता है।हालांकि, राजद के फेसबुक पेज पर भी हू-ब-हू ऐसा ही पोस्टर बता रहा कि इस वर्ष अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के उपक्रम में होने वाले कटाक्ष राजनीतिक मर्यादाओं की सीमा भी लांघ सकते हैं।

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