दो पुत्रों के लिए दवा नहीं मिलने पर नवगछिया के एक शिक्षक ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर पूरे परिवार के लिए मौत की इजाजत मांगी है। शिक्षक के दोनों बेटे ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्राफी से पीड़ित हैं जिसके लिए आवश्यक दवा का खर्च वहन करना उनके लिए संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि एम्स दिल्ली ने भी स्वास्थ्य विभाग से राशि मिलने पर ही दवा उपलब्ध कराने की बात कही है।
बिहार के भागलपुर जिले में नवगछिया के कदवा दियारा निवासी शिक्षक घनश्याम कुमार ने प्रधानमंत्री (पीएम) को चिट्ठी लिखकर अपने दो पुत्रों की गंभीर बीमारी के लिए दवा की राशि नहीं मिलने पर पूरे परिवार के लिए मौत की अनुमति मांगी है।
शिक्षक के दोनों पुत्र ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्राफी (डीएमडी) नामक बीमारी से पीड़ित हैं। प्रधानमंत्री को 19 फरवरी को लिखे पत्र में घनश्याम कुमार ने बताया कि उनके दो पुत्र अनिमेष अमन (15) एवं अनुराग आनंद (10) को ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्राफी है।
डॉक्टर ने क्या कहा?
- डॉक्टर का कहना है कि इसके लिए पीटीसी ट्रांसलारा दवा लगेगी, जो एफडीए (खाद्य एवं औषधि प्रशासन) से 2014 में ही अप्रूव हो चुका है। 33 देश में दवा चल भी रही है। भारत में 2017 में ट्रायल हो चुका है।
- दो वर्षों से रेयर डिजीज पोर्टल पर दोनों बच्चों का नाम रजिस्टर्ड हैं, लेकिन फंड के अभाव में बच्चों को दवा नहीं मिल सकी है।
- उन्होंने कहा कि एम्स दिल्ली से संपर्क करने पर बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग से राशि मिलने के बाद ही दवा मिलेगी। बच्चों की स्थिति दिन-प्रतिदिन दयनीय होती जा रही है।
- वहीं, परिवार के सदस्यों के बच्चों का हालात देखकर रो-रो कर बुरा हाल है। उन्होंने प्रार्थना की है कि मेरे पुत्रों के पीटीसी ट्रांसलरा पैरंट दवाई हेतु राशि उपलब्ध करवा कर उपचार की कृपा की जाए। ताकि, बच्चे को नई जीवन मिल सके।
- बताते चलें कि डीएमडी एक तरह का आनुवंशिक विकार है, जिससे मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर हो जाती है और अंत में इनका क्षय हो जाता है।
बस नाम का है अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मरीज को सुविधा नदारद
राज्य सरकार ने लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से फलका प्रखंड क्षेत्र के पोठिया में अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया है। लेकिन अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का हाल बेहाल है।
कहने को तो अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में रोगियों को सभी प्रकार की सुविधा स्वास्थ्य विभाग के द्वारा दी जाती है।
इसमें ब्लड शुगर जांच, प्रसव सेवा, टीकाकरण वह ओपीडी में चिकित्सकों के द्वारा रोगी का जांच पड़ताल कर दवाई दी जाने की बात कही जाती है।
बुधवार को फरवरी माह में एक्सपायर हो चुके औषधि मरीजों के बीच वितरण किया जा रहा था। बुधवार को जब जागरण संवाददाता ने दोपहर 12.40 मिनट पर अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का जायजा लिया तो अस्पताल का हाल बेहाल था।
अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बाहर हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर के सामने कचरा का अंबार लगा हुआ था और अस्पताल परिसर में कहीं भी डस्टबिन नहीं लगा हुआ था। जिससे कचरा यत्र तत्र बिखरा पड़ा हुआ था।
12.44 पर दवा वितरण कक्ष में बाहर से ताला लगा हुआ था और दवा वितरण कक्ष के बाहर कुर्सी व स्ट्रेचर पड़ा हुआ था। दवा वितरण कक्ष में कोई भी कर्मी मौजूद नहीं थे।
12: 48 बजे ओपीडी में चिकित्सा पदाधिकारी गौतम कुमार मरीज को खिड़की के बाहर से ही पूछताछ कर रजिस्टर में रजिस्ट्रेशन कर रोगी को ओपीडी कक्ष से ही दवा भी वितरण स्वयं कर रहे थे।
पूछे जाने पर बताया कि सीएचओ जालाराम जरूरी कार्य से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र फलका गए हैं। जिससे दवा वितरण कक्ष बंद है।
दवा वितरण कक्ष बंद होने से पूर्व ही कुछ जरूरी दवा ओपीडी में लाकर रख लिए हैं, जो मरीज के बीच वितरण कर रहे हैं। 12:55 बजे तक चिकित्सा पदाधिकारी के द्वारा मात्र 12 रोगी का स्वास्थ्य जांच किया गया था।
इतना ही नहीं मेट्रोनिडाजोल दो सौ एमजी जो फरवरी माह में एक्सपायर हो गया है, तब भी वितरण किया जा रहा था। वही लिवोसिटरजिन एवं आइब्रोफेन दवा उपलब्ध नही था।