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“यात्रीगण ध्यान दें: छठ पर्व पर रेलवे ने शुरू की 16 नई स्पेशल ट्रेनों का परिचालन, यहां देखें पूरी सूची!”

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“छठ महापर्व के मद्देनजर यात्रियों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए भारतीय रेलवे ने इस बार 16 अतिरिक्त स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू किया है। इन ट्रेनों का मुख्य उद्देश्य बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के यात्रियों को सुगम और सहज यात्रा का अनुभव प्रदान करना है, जो बड़ी संख्या में अपने गृहनगर लौटते हैं।

इन विशेष ट्रेनों की संचालन तिथियों और मार्ग की विस्तृत जानकारी इस प्रकार है:

  1. गाड़ी संख्या 06237/06238 एसएमवीबी-बरौनी-एसएमवीबी फेस्टिवल स्पेशल: यह ट्रेन नागपुर, जबलपुर, प्रयागराज छिवकी, डीडीयू, दानापुर, पाटलिपुत्र और हाजीपुर के रास्ते एसएमवीटी, बेंगलूरू और बरौनी के बीच चलेगी। इसमें द्वितीय वातानुकूलित श्रेणी के दो, तृतीय वातानुकूलित श्रेणी के चार, शयनयान श्रेणी के 10 और साधारण श्रेणी के दो कोच होंगे।

ट्रेन एसएमवीटी, बेंगलूरू से 4 नवंबर को 21:25 बजे रवाना होगी और 6 नवंबर को 20:00 बजे बरौनी पहुंचेगी। वापसी में, 06238 बरौनी-एसएमवीटी, बेंगलूरू फेस्टिवल स्पेशल 9 नवंबर को 10:00 बजे बरौनी से चलकर 11 नवंबर को 13:30 बजे बेंगलूरू पहुंचेगी।”

4. गाड़ी संख्या 03123/03124 – कोलकाता-पटना-कोलकाता स्पेशल, जो आसनसोल, झाझा, किऊल, मोकामा और बख्तियारपुर के रास्ते चलेगी। इस ट्रेन में एक तृतीय वातानुकूलित श्रेणी, नौ शयनयान श्रेणी और छह साधारण श्रेणी के कोच होंगे। गाड़ी सं. 03123 कोलकाता से 03.11.2024 और 10.11.2024 को 23:50 बजे रवाना होकर अगले दिन 10:25 बजे पटना जं. पहुंचेगी। वापसी में, गाड़ी सं. 03124 पटना से 03.11.2024 और 04.11.2024 को 12:15 बजे निकलकर उसी दिन 23:55 बजे कोलकाता पहुंचेगी।

5. गाड़ी संख्या 08181/08182 – टाटा-कटिहार-टाटा स्पेशल, जो आसनसोल, झाझा, किऊल, न्यू बरौनी जं. और मानसी के रास्ते चलेगी। यह ट्रेन 04.11.2024 और 11.11.2024 को टाटा से तथा 05.11.2024 और 12.11.2024 को कटिहार से संचालित होगी। इस स्पेशल में दो वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी, चार वातानुकूलित तृतीय श्रेणी, पांच वातानुकूलित तृतीय इकोनॉमी, चार शयनयान श्रेणी और दो साधारण श्रेणी के कोच होंगे। गाड़ी संख्या 08181 टाटा से 22:40 बजे चलकर अगले दिन 06:55 बजे झाझा, 11:10 बजे न्यू बरौनी जं. और अन्य स्टेशनों पर रुकते हुए 15:15 बजे कटिहार पहुंचेगी। वापसी में, गाड़ी संख्या 08182 कटिहार से 19:40 बजे निकलकर 23:25 बजे न्यू बरौनी जं. और अगले दिन 03:00 बजे झाझा सहित अन्य स्टेशनों पर रुकते हुए 11:00 बजे टाटा पहुंचेगी।

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अब हमारे बीच नहीं रहीं देश की मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा

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बिहार की कोकिला शारदा सिन्हा की गायिकी में न सिर्फ बिहार की, बल्कि समूचे भारत की लोक संस्कृति की गहरी छाप बसी हुई है। उनके द्वारा गाए गए गीतों में छठ, विवाह, और होली जैसे पर्वों की आत्मा समाई है। इन गीतों ने न केवल बिहार के घर-घर में अपनी विशेष पहचान बनाई, बल्कि पूरे देशभर में लोक संगीत की धारा को संजीवनी दी है। शारदा सिन्हा के सैकड़ों गीत आज भी हर दिल में बसे हुए हैं, और हर त्योहार की खुशी में रंग भरते हैं।

देश की मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं रहीं, लेकिन उनकी आवाज हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगी। दिवाली से लेकर छठ महापर्व तक उनके गाए हुए गीत हर घर, हर गली और हर छठ घाट पर गूंजते रहते हैं, और उनकी संगीत की छाप भारतीय लोक संस्कृति पर अमिट रहेगी। मंगलवार रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली, और उनके निधन से यूपी-बिहार ही नहीं, बल्कि पूरा देश गहरे शोक में डूब गया। महज 72 साल की उम्र में उनका यह अचानक निधन एक अपूरणीय क्षति है। उनके बेटे अंशुमान सिन्हा के अनुसार, शारदा जी मल्टीपल मायलोमा जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं, जो कैंसर का एक प्रकार है। 2017 से ही वह इस बीमारी से संघर्ष कर रही थीं, लेकिन उन्होंने कभी अपनी बीमारी को सार्वजनिक नहीं किया और हमेशा हंसते हुए, जनता के बीच अपनी आवाज से सुख और उल्लास फैलाती रहीं।

अंशुमान सिन्हा के अनुसार, शारदा सिन्हा 2017 से मल्टीपल मायलोमा जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं, और हम परिवार के लोग इसे अच्छी तरह जानते थे। उनकी हमेशा यह इच्छा रही कि उनकी व्यक्तिगत पीड़ा को कभी सार्वजनिक न किया जाए। वह अपनी तकलीफों का ब्योरा देने से अधिक पसंद करती थीं, बजाय इसके कि कोई उनकी बीमारी पर चर्चा करे। उनका दृढ़ निश्चय और हिम्मत हमेशा प्रेरणादायक रही, और यही वजह है कि वह अपनी संघर्षों को बिना किसी शिकायत के अपने संगीत और हंसी में छिपाए रखती थीं।

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“नहाय-खाय से शुरू हुआ छठ महापर्व, आस्था, श्रद्धा और समर्पण का एक अद्वितीय संगम है।”

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“आज, 5 नवंबर 2024, मंगलवार से छठ महापर्व की शुभ शुरुआत हो चुकी है। छठ के पहले दिन ‘नहाय-खाय’ की परंपरा से इस महापर्व का उल्लास आरंभ होता है। आइए, जानें कि इस दिन नहाय-खाय में कौन-कौन से महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए।”

हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत होती है। इस साल, 5 नवंबर 2024, मंगलवार से छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। छठ के पहले दिन ‘नहाय-खाय’ की परंपरा से व्रत की धारा शुरू होती है, जिसमें व्रती सुबह स्नान करके सात्विक भोजन करते हैं। नहाय-खाय से आरंभ होकर यह पर्व उषा अर्घ्य के साथ संपन्न होता है। इन चार दिनों में व्रत के कई नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। तो आइए, जानते हैं छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय में किन विशेष नियमों का पालन करना चाहिए।

छठ पूजा में नहाय-खाय का महत्व
नहाय-खाय के दिन व्रती तालाब, नदी या घर में स्नान कर शुद्ध होते हैं। छठ पूजा में इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि इसके साथ ही इस पावन पर्व की शुरुआत होती है। नहाय-खाय के दिन व्रती सात्विक आहार ग्रहण करके खुद को पवित्र करते हैं, जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से छठ पूजा के लिए तैयार हो जाते हैं। यह दिन व्रतियों के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और उन्हें आत्मिक शांति प्रदान करता है।

नहाय-खाय के नियम

  1. नहाय-खाय के दिन पहले घर को साफ-सुथरा किया जाता है।
  2. व्रती को प्रात:काल उठकर स्नान करके शुद्ध होना चाहिए।
  3. नहाय-खाय के दिन नया या साफ वस्त्र पहनें।
  4. सूर्य देव को जल अर्पित करें और फिर उन्हें भोग लगाकर भोजन ग्रहण करें।
  5. इस दिन केवल सात्विक भोजन बनाएं, और प्याज-लहसुन से बचें।
  6. कद्दू की सब्जी, लौकी चने की दाल और भात खाने की परंपरा है।
  7. व्रती सबसे पहले भोजन करें, फिर परिवार के अन्य सदस्य खाएं।
  8. परिवार के अन्य सदस्यों को भी सात्विक भोजन ही करना चाहिए।

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इस बार 3 नवंबर 2024 को भाई दूज का त्योहार मनाया जा रहा है। 

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भाई दूज का त्योहार है बेहद खास,
भाई-बहन के रिश्ते में हो हमेशा मिठास।
सदा खुशियों से भरा रहे ये जीवन का सफर,
भाई दूज की शुभकामनाएं, रहे हर दिन प्यार भरा।

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस साल, 3 नवंबर 2024 को यह त्योहार मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी दिन यमुना ने भाई यम को अपने घर आमंत्रित किया और उन्हें टीका कर सम्मानित किया, तभी से इस पर्व की शुरुआत हुई। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है।

भाई दूज के इस खास दिन, बहनें भाई के माथे पर तिलक कर उनके सुखमय जीवन और उज्जवल भविष्य की प्रार्थना करती हैं। इस दिन भगवान कृष्ण, यमदेव और यमुना की पूजा करने से अकाल मृत्यु का संकट टल जाता है।

इस वर्ष भाई दूज पर सुबह 11 बजकर 39 मिनट तक सौभाग्य योग रहेगा, उसके बाद शोभन योग शुरू होगा। इस शुभ अवसर पर प्यारे भाई को संदेश भेजकर शुभकामनाएं देना न केवल रिश्तों में मिठास और विश्वास बढ़ाएगा, बल्कि इस दिन की खुशियों को भी दोगुना करेगा।

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