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आज से बिहार के सभी जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर

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आज यानी मंगलवार को प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के चिकित्सक दिन भर कार्य बहिष्कार पर हैं. सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक डॉक्टर कार्य बहिष्कार कर दिया है. इस स्थिति में ओपीडी और रूटिंग सर्जरी दिनभर बंद रहेगी. अस्पतालों में सिर्फ इमरजेंसी कार्य ही होंगे. आईएमए की ओर से देशव्यापी बंद का आह्वान किया गया है.

बिहार आईएमए ने मंगलवार को मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में एकदिवसीय हड़ताल का ऐलान कर दिया है. आईएमए बिहार की ओर से जानकारी दी गई है कि आरजीकर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल, कोलकाता के जूनियर चिकित्सक पिछले 10 दिनों से हड़ताल पर हैं. कॉलेज कैंपस में ड्यूटी के दौरान पिछले दिनों महिला चिकित्सक के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मामले में अबतक न्याय नहीं मिलने एवं अस्पताल के डॉक्टरों की सुरक्षा में सुधार नहीं होने से नाराज हैं.

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खरना के रोटी और खीर का प्रसाद ग्रहण कर श्रद्धालुओं ने किया , डूबते सूर्य को आज देंगे अर्घ्य

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पूरे दिन निर्जला उपवस के बाद श्रद्धालुओं ने सायंकाल सूर्य देव की पूजा अर्चना की और रोटी, गुड़ और खीर का प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर प्रसाद को न केवल अपने परिवार बल्कि आस-पास के लोगों के बीच भी वितरित किया गया, जिससे परस्पर सौहार्द और एकता का संदेश दिया गया। श्रद्धालुओं ने पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ सूर्य देव की उपासना में खुद को समर्पित किया।

चार दिवसीय छठ महापर्व के दूसरे दिन बुधवार को श्रद्धालुओं ने पारंपरिक रूप से खरना किया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने पूरे दिन निर्जला व्रत रखा और सायंकाल सूर्य देवता की पूजा-अर्चना के बाद रोटी, गुड़ और खीर का प्रसाद ग्रहण किया। प्रसाद को न केवल परिवार के सदस्यों, बल्कि आस-पास के लोगों में भी बांटा गया, जिससे एकजुटता और सामूहिक सौहार्द का संदेश दिया गया। श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर सूर्य देवता के प्रति अपनी निष्ठा और भक्ति प्रकट करते हुए स्वयं को समर्पित किया।

छठ महापर्व की शुरुआत मंगलवार को नहाय-खाय के साथ हुई, जब व्रतियों ने पवित्र नदियों और तालाबों में स्नान कर शुद्धता का प्रतीकात्मक संकल्प लिया और शाकाहारी भोजन ग्रहण किया। नहाय-खाय के बाद बुधवार को खरना का आयोजन हुआ, जो इस महापर्व का एक अहम हिस्सा है और इसे श्रद्धालुओं द्वारा पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाता है।

अर्घ्य की तैयारी और श्रद्धालुओं का उत्साह
बृहस्पतिवार को श्रद्धालु अस्ताचल सूर्य को पहला अर्घ्य देंगे, जिसके लिए दिल्ली के विभिन्न बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है। श्रद्धालु अर्घ्य देने के लिए आवश्यक पूजन सामग्री जैसे फल, गन्ना, नारियल, मिट्टी के दीपक और अन्य सामग्री खरीद रहे हैं। साथ ही, ठेकुआ बनाने की तैयारी भी जोरों पर है, जिसे सूर्य देव को अर्पित किया जाएगा।

घाटों पर भव्य तैयारियां
सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के लिए दिल्ली के यमुना नदी और अन्य प्रमुख घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं के एकत्र होने की संभावना है। बृहस्पतिवार की शाम और शुक्रवार की सुबह श्रद्धालु जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देंगे। इसके अलावा, इंडिया गेट के बोट क्लब, पश्चिमी यमुना नहर और विभिन्न तालाबों पर भी अर्घ्य अर्पित करने की व्यवस्था की गई है। सभी घाटों पर पंडाल लगाए गए हैं और दिवाली की तरह सजावट की गई है, जिससे यह पर्व और भी भव्य बन गया है।

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अब हमारे बीच नहीं रहीं देश की मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा

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बिहार की कोकिला शारदा सिन्हा की गायिकी में न सिर्फ बिहार की, बल्कि समूचे भारत की लोक संस्कृति की गहरी छाप बसी हुई है। उनके द्वारा गाए गए गीतों में छठ, विवाह, और होली जैसे पर्वों की आत्मा समाई है। इन गीतों ने न केवल बिहार के घर-घर में अपनी विशेष पहचान बनाई, बल्कि पूरे देशभर में लोक संगीत की धारा को संजीवनी दी है। शारदा सिन्हा के सैकड़ों गीत आज भी हर दिल में बसे हुए हैं, और हर त्योहार की खुशी में रंग भरते हैं।

देश की मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं रहीं, लेकिन उनकी आवाज हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगी। दिवाली से लेकर छठ महापर्व तक उनके गाए हुए गीत हर घर, हर गली और हर छठ घाट पर गूंजते रहते हैं, और उनकी संगीत की छाप भारतीय लोक संस्कृति पर अमिट रहेगी। मंगलवार रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली, और उनके निधन से यूपी-बिहार ही नहीं, बल्कि पूरा देश गहरे शोक में डूब गया। महज 72 साल की उम्र में उनका यह अचानक निधन एक अपूरणीय क्षति है। उनके बेटे अंशुमान सिन्हा के अनुसार, शारदा जी मल्टीपल मायलोमा जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं, जो कैंसर का एक प्रकार है। 2017 से ही वह इस बीमारी से संघर्ष कर रही थीं, लेकिन उन्होंने कभी अपनी बीमारी को सार्वजनिक नहीं किया और हमेशा हंसते हुए, जनता के बीच अपनी आवाज से सुख और उल्लास फैलाती रहीं।

अंशुमान सिन्हा के अनुसार, शारदा सिन्हा 2017 से मल्टीपल मायलोमा जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं, और हम परिवार के लोग इसे अच्छी तरह जानते थे। उनकी हमेशा यह इच्छा रही कि उनकी व्यक्तिगत पीड़ा को कभी सार्वजनिक न किया जाए। वह अपनी तकलीफों का ब्योरा देने से अधिक पसंद करती थीं, बजाय इसके कि कोई उनकी बीमारी पर चर्चा करे। उनका दृढ़ निश्चय और हिम्मत हमेशा प्रेरणादायक रही, और यही वजह है कि वह अपनी संघर्षों को बिना किसी शिकायत के अपने संगीत और हंसी में छिपाए रखती थीं।

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इस बार 3 नवंबर 2024 को भाई दूज का त्योहार मनाया जा रहा है। 

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भाई दूज का त्योहार है बेहद खास,
भाई-बहन के रिश्ते में हो हमेशा मिठास।
सदा खुशियों से भरा रहे ये जीवन का सफर,
भाई दूज की शुभकामनाएं, रहे हर दिन प्यार भरा।

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस साल, 3 नवंबर 2024 को यह त्योहार मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी दिन यमुना ने भाई यम को अपने घर आमंत्रित किया और उन्हें टीका कर सम्मानित किया, तभी से इस पर्व की शुरुआत हुई। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है।

भाई दूज के इस खास दिन, बहनें भाई के माथे पर तिलक कर उनके सुखमय जीवन और उज्जवल भविष्य की प्रार्थना करती हैं। इस दिन भगवान कृष्ण, यमदेव और यमुना की पूजा करने से अकाल मृत्यु का संकट टल जाता है।

इस वर्ष भाई दूज पर सुबह 11 बजकर 39 मिनट तक सौभाग्य योग रहेगा, उसके बाद शोभन योग शुरू होगा। इस शुभ अवसर पर प्यारे भाई को संदेश भेजकर शुभकामनाएं देना न केवल रिश्तों में मिठास और विश्वास बढ़ाएगा, बल्कि इस दिन की खुशियों को भी दोगुना करेगा।

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