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Chandra Grahan 2022: बिहार में 46 मिनट तक रहेगा चंद्रग्रहण, 12 राशियों पर पड़ेगा खास प्रभाव, जानिए टाइमिंग

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Chandra Grahan 2022 साल का आखिरी चंद्रग्रहण मंगलवार को लगेगा। जो कि बिहार में भी दृश्यमान होगा। बिहार में 46 मिनट तक इसका असर देखने को मिलेगा। ज्योतिष आचार्य पीके युग के मुताबिक 12 राशियों पर इसका खास प्रभाव पड़ सकता है।

हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को विशेष माना गया है। स्कंद पुराण में कार्तिक माह को सभी मासों में श्रेष्ठ, रोग विनाशक, मुक्ति प्रदान करने वाला माह बताया गया है। ऐसे में कार्तिक मास की पूर्णिमा का महत्‍व और भी बढ़ जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली के तौर पर भी मनाया जाता है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन आठ नवंबर को वर्ष का आखिरी चंद्रग्रहण भी लग रहा है। इसके पहले चंद्रग्रहण 16 मई को लगा था।

बिहार में 46 मिनट तक रहेगा चंद्रग्रहण

ज्योतिष आचार्य पीके युग ने पंचांगों के हवाले से बताया कि मंगलवार को चंद्रग्रहण 5.32 बजे आरंभ होकर शाम 6.18 बजे तक है। वहीं चंद्रग्रहण का सूतक काल मंगलवार को सुबह 9.21 बजे से आरंभ होगा जो शाम 6.18 बजे समाप्त होगा। यह चंद्रग्रहण राजधानी पटना सहित देश के विभिन्न स्थानों पर दिखाई देगा।

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12 दिवसीय जलवायु सम्मेलन के दौरान, मेज़बान देश ने सभी भागीदार देशों से जलवायु वित्त के नए लक्ष्यों पर उत्पन्न मतभेदों को तत्काल सुलझाने की अपील की, ताकि प्रभावी और समन्वित प्रयासों से जलवायु संकट का समाधान सुनिश्चित किया जा सके।

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जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के तहत 29वां COP-29 सम्मेलन 11 से 22 नवंबर तक अजरबैजान के बाकू में आयोजित होगा। यह सम्मेलन जलवायु संकट के प्रभावों से निपटने और वैश्विक तापमान में वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए त्वरित और ठोस कदम उठाने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है, जब चरम मौसम घटनाएं और अत्यधिक तापमान पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहे हैं।

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के तहत 29वां COP-29 सम्मेलन 11 से 22 नवंबर तक अजरबैजान के बाकू में आयोजित होगा। इस वर्ष के सम्मेलन के मेज़बान अजरबैजान ने सोमवार को सभी देशों से लंबित जलवायु मुद्दों को तत्काल सुलझाने की अपील की, विशेष रूप से विकासशील देशों को जलवायु संकट से निपटने के लिए नए जलवायु वित्त लक्ष्य पर सहमति बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उद्घाटन सत्र में COP-29 के अध्यक्ष मुख्तार बाबायेव ने चेतावनी दी कि मौजूदा नीतियां दुनिया को 3 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि की ओर धकेल रही हैं, जो अरबों लोगों के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है।

यह सम्मेलन देशों के लिए पेरिस समझौते के तहत अपनी अद्यतन राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं को प्रस्तुत करने का महत्वपूर्ण अवसर होगा, जिन्हें 2025 की शुरुआत तक प्रस्तुत करना अनिवार्य है। यदि इन योजनाओं का सही ढंग से कार्यान्वयन किया गया, तो ये वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस के भीतर सीमित रखने में सहायक हो सकती हैं।

COP की पहली बैठक
कोप (कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज़) की पहली बैठक मार्च 1995 में जर्मनी के बर्लिन में आयोजित हुई थी। यह सम्मेलन जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के पक्षकारों का वार्षिक समागम है। “पार्टीज़” उन देशों को कहा जाता है जिन्होंने 1992 में यूएन जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

कार्बन ऑफसेट्स क्या हैं?
कार्बन ऑफसेट क्रेडिट एक प्रमाणपत्र होता है, जो किसी विशेष स्थान या प्रोजेक्ट के माध्यम से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी को प्रमाणित करता है। कई सरकारें और कंपनियां अपने जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सीधे उत्सर्जन में कमी लाने में सक्षम नहीं होतीं। ऐसे में, वे कार्बन ऑफसेट क्रेडिट के माध्यम से ऐसे प्रोजेक्ट्स को वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं, जो सौर ऊर्जा पैनल लगाने, वृक्षारोपण करने जैसी गतिविधियों से उत्सर्जन को कम करते हैं।

पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 का महत्व
2015 में पेरिस समझौते के तहत, 200 देशों ने वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने और इसे 1.5 डिग्री सेल्सियस के भीतर रखने का संकल्प लिया। इस समझौते का अनुच्छेद 6 विशेष रूप से विकासशील देशों को जलवायु वित्त मुहैया कराने के लिए एक महत्वपूर्ण तंत्र के रूप में माना जाता है, जो देशों को अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए सहयोग और व्यापार की अनुमति देता है।

अनुच्छेद 6.2: यह प्रावधान देशों के बीच सीधे कार्बन ऑफसेट्स के व्यापार के लिए शर्तें तय करने की अनुमति देता है, जिससे वे अपने जलवायु लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से पूरा कर सकते हैं।

अनुच्छेद 6.4: इस अनुच्छेद के तहत एक केंद्रीय प्रणाली की स्थापना की जाती है, जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रबंधित किया जाएगा, ताकि देशों और कंपनियों को कार्बन ऑफसेट्स खरीदने और बेचने की सुविधा मिल सके। इसका उद्देश्य ऑफसेट व्यापार को अधिक मानकीकृत और पारदर्शी बनाना है, ताकि यह प्रक्रिया सभी देशों और निगमों के लिए समान रूप से सुलभ हो।

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लखनऊ के ताज होटल को मिली बम से उड़ाने की धमकी

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लखनऊ के ताज होटल को सोमवार को एक ईमेल के जरिए बम की धमकी मिली। वहीं इससे पहले रविवार (27 अक्टूबर) को शहर के 10 होटलों को भी इसी तरह की धमकियाँ दी गई थीं। पुलिस के सूत्रों के अनुसार, हज़रतगंज क्षेत्र में स्थित ताज होटल को भेजे गए ईमेल में परिसर में…

नेशनल डेस्क. लखनऊ के ताज होटल को सोमवार को एक ईमेल के जरिए बम की धमकी मिली। वहीं इससे पहले रविवार (27 अक्टूबर) को शहर के 10 होटलों को भी इसी तरह की धमकियाँ दी गई थीं। पुलिस के सूत्रों के अनुसार, हज़रतगंज क्षेत्र में स्थित ताज होटल को भेजे गए ईमेल में परिसर में संभावित बम विस्फोट की चेतावनी दी गई थी।

रविवार को जिन 10 होटलों को बम धमकी मिली, उनमें Marriott, Saraca, Piccadily, Comfort Vista, Fortune, Lemon Tree, Clark Awadh, Casa, Dayal Gateway और Silvette शामिल हैं। इन होटलों में बम निरोधक दस्ते ने पूरी तलाशी ली थी, लेकिन सभी धमकियाँ निराधार पाई गई थीं।

ईमेल में लिखा गया था कि यदि 55,000 डॉलर (लगभग 4,624,288 रुपये) की फिरौती नहीं दी गई, तो विस्फोट होगा। धमकी में कहा गया था, “आपके होटल के परिसर में काले बैग में बम छिपे हुए हैं। मैं 55,000 डॉलर चाहता हूँ, वरना मैं विस्फोट कर दूंगा और खून हर जगह फैल जाएगा। बमों को निष्क्रिय करने की कोई कोशिश करने पर वे विस्फोटित हो जाएंगे।”

अधिकारियों ने एक बार फिर ताज होटल में सुरक्षा सुनिश्चित करने और होटल की पूरी तरह से जांच के लिए बम निरोधक दस्ते को तैनात किया है। ईमेल के स्रोत की जांच अभी भी जारी है।

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दिवाली 31 अक्टूबर या 1 नवंबर? अब संदेह का समाधान, पंडितों ने तय किया।

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“इस साल दिवाली कब मनाई जाएगी, 31 अक्टूबर या 1 नवंबर? इस पर शंका की स्थिति बनी हुई है। हालांकि फिरोजाबाद में पंडितों ने बैठक कर यह निर्णय लिया है कि दिवाली किस दिन मनाई जाएगी। पढ़ें विस्तृत खबर।”

रात्रि व्यापिनी अमावस्या के कारण यह निर्णय उचित माना गया है।

नगर के ज्योतिषाचार्यों ने मिलकर दिवाली का त्योहार 31 अक्टूबर को मनाने का निर्णय लिया, बजाय 1 नवंबर के। बैठक में बताया गया कि अयोध्या में भी 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने का फैसला लिया गया है। इसी प्रकार, काशी, मथुरा, द्वारका और उज्जैन के विद्वानों ने भी रात्रि व्यापिनी अमावस्या को ध्यान में रखते हुए 31 अक्टूबर को दिवाली मनाने का निर्णय किया है।

उन्होंने देश के सभी सनातनियों से दिवाली का त्योहार 31 अक्तूबर को मनाए जाने का आह्वान किया है। बैठक में बांकेबिहारी मंदिर के महंत पंडित मुन्नालाल शास्त्री ने कहा कि जब अयोध्या, काशी, मथुरा, द्वारका और उज्जैन के विद्वान दिवाली का त्योहार 31 अक्तूबर को मनाए जाने का निर्णय ले चुके हैं। तो हम सभी लोग उनके निर्णय का सम्मान करते हुए 31 अक्तूबर को ही दिवाली मनाने को सहमत हैं। उन्होंने कहा कि एक दिन, एक तिथि पर दीपोत्सव का त्योहार मनाने से सनातन एकता मजबूत होगी।

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