बिहार में सोलर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा सोलर रूफ़टॉप सब्सिडी योजना भी चलाई जाती है। इस योजना के तहत उपभोक्ताओं को सोलर पैनल लगवाने पर सब्सिडी देकर बढ़ावा दिया जा रहा है। संचरण क्षेत्र में भी विकास के कई कार्य किये गये हैं जिसके फलस्वरूप वर्ष 2005 में ग्रिड सब-स्टेशनों की संख्या 45 थी जो अब बढ़कर 161 हो गयी है।
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है। यहां की 75 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर है। हर क्षेत्र में विकास की इबारत लिखनेवाले मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने यह साबित कर दिया है कि बिहार में सौर ऊर्जा उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। इससे प्रदेश की तस्वीर बदल रही है। वर्तमान में केवल 180 मेगावाट का उत्पादन होने के बावजूद राज्य में 11000 मेगावाट तक सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता है।
सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा सोलर रूफटॉप सब्सिडी योजना भी चलाई जा रही है। इस योजना के तहत उपभोक्ताओं को सोलर पैनल लगवाने पर सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है। इस योजना का उद्देश्य कृषकों को निरंतर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना तथा साथ ही पारंपरिक ऊर्जा स्रोत का विकास करना है। इस योजना के अंतर्गत 02 एवं 03 हॉर्स पावर के कुल 2771 सोलर वाटर पम्प स्थापित किये जा चुके हैं।
बिहार में निवेश के लिए सोलर एनर्जी सेक्टर एक बड़े सेक्टर के रूप में उभरकर सामने आया है। बिजली कंपनियों ने यहां तक व्यवस्था कर रखी है कि सोलर एनर्जी यूनिट से जितनी बिजली का उत्पादन होगा, वह अगले 25 साल तक बिजली कंपनी खुद खरीद लेगी। इन क्षेत्रों में स्टैंड अलोन एवं मिनी ग्रिड प्लांट स्थापित कर सौर ऊर्जा के माध्यम से लोगों को बिजली उपलब्ध करायी गयी। इसमें कैमूर का अधौरा प्रखण्ड एवं पश्चिमी चम्पारण का वन क्षेत्र प्रमुख हैं।
इस योजना में कुल 12,048 घरों को स्टैंड अलोन सिस्टम एवं 32,050 घरों को मिनी ग्रिड प्लांट के माध्यम से सौर ऊर्जा की आपूर्ति की जा रही है। राज्य में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए 7 निश्चय फेज-2 के तहत प्रत्येक गांव के प्रत्येक वार्ड में औसतन 10 सोलर स्ट्रीट लाइट लगाने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। अगले चरण में वितरण कम्पनियों द्वारा 20 मेगावाट ग्रिड कनेक्टेड रुफटॉप सोलर पैनल की स्थापना की जा रही है, जिसके लिए ऑनलाईन आवेदन आमंत्रित किये गये हैं तथा निविदा द्वारा एजेन्सियों का चयन किया जा चुका है।
जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत विद्युत वितरण कम्पनियों द्वारा निजी भवनों के छतों पर रूफटॉप सोलर पावर प्लान्ट लगाने का कार्य किया जा रहा है। इसके लिए केन्द्रीय अनुदान के अतिरिक्त बिहार सरकार द्वारा भी 25 प्रतिशत अनुदान राशि की स्वीकृति दी गई है। बिहार की दोनों वितरण कम्पनियों द्वारा ग्रिड कनेक्टेड रुफटॉप सोलर पैनल लगाने की कार्रवाई की जा रही है, जिसमें अबतक 643 घरों पर कुल 2.06 मेगावाट क्षमता के रूफटॉप सोलर पैनल का स्थापित किया जा चुका है।
बिहार में सोलर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा सोलर रूफ़टॉप सब्सिडी योजना भी चलाई जाती है। इस योजना के तहत उपभोक्ताओं को सोलर पैनल लगवाने पर सब्सिडी देकर बढ़ावा दिया जा रहा है। संचरण क्षेत्र में भी विकास के कई कार्य किये गये हैं, जिसके फलस्वरूप वर्ष 2005 में ग्रिड सब-स्टेशनों की संख्या 45 थी जो अब बढ़कर 161 हो गयी है।
संचरण लाईन की लम्बाई 5000 सर्किट किलोमीटर से बढ़कर वर्तमान में 18812 सर्किट किलोमीटर हो गई है तथा विद्युत निकासी की क्षमता 1000 मेगावाट से बढ़कर 13568 मेगावाट हो गयी है। वर्ष 2005 में पावर सब-स्टेशन की संख्या 268 थी, जो वर्तमान में बढ़कर 1231 हो गयी है। आज राज्य के सभी अनुमण्डलों में ग्रिड सब-स्टेशन एवं सभी प्रखण्डों में पावर सब-स्टेशन निर्मित है।
28 अक्टूबर 2016 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा विद्युत कॉलोनी में नव-निर्मित ऊर्जा स्टेडियम का उद्घाटन किया गया था। महज एक वर्ष में निर्मित ऊर्जा स्टेडियम में बी0सी0सी0आई0 के घरेलू मैचों हेतु सारे मानक यहां मौजूद है। स्टेडियम के निर्माण के पूर्व मैदान पूर्ण रूप से उपेक्षित स्थिति में था, जिसपर कूड़े का अंबार लगा रहता था और जिससे पर्यावरण और आस-पास का वातावरण भी प्रदूषित रहता था। स्टेडियम के बन जाने के बाद जमीन के सदुपयोग के साथ ही साथ खिलाड़ियों में अदम्य उत्साह का वातावरण बन गया है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा किए गए कार्यों की सराहना पूरे देश में हो रही है।