Buxer News बक्सर के रेलयात्रियों के लिए अच्छी खबर सामने आई है। दरअसल नए साल से बक्सर जंक्शन पर वंदे भारत के ठहराव को मंजूरी मिल गई है। इसके अलावा टाटा-आरा एक्सप्रेस को टाटा-बक्सर एक्सप्रेस के रूप में विस्तारित किया गया। वंदे भारत की सवारी भी जिले के लोगों के लिए उपलब्ध हो गई। बक्सर में शिक्षा के क्षेत्र में भी नया बदलाव आया है।
Buxar News: चालू वर्ष जिले को कई नई चीजें देकर गया। इसकी शुरुआत रेलवे से हुई। साल की शुरुआत में रेलवे ने जिले के तीन स्टेशनों का अमृत स्टेशन योजना के तहत विकास के लिए चयन किया। इनमें डुमरांव, रघुनाथपुर एवं चौसा रेलवे स्टेशन शामिल हैं।
इसके अलावा बक्सर रेलवे स्टेशन पर पटना-गोमतीनगर वंदे भारत का नियमित ठहराव मिला, तो टाटा-आरा एक्सप्रेस को विस्तार देकर टाटा-बक्सर एक्सप्रेस नामकरण हो गया। जाहिर सी बात है लोगों को इसका लाभ मिला। लोगों को अब टाटानगर जाने के लिए आरा या पटना की दूरी नहीं तय करनी पड़ती है। इसी तरह वंदे भारत की सवारी भी जिले के लोग करने लगे।
बक्सर के लिए शिक्षा के क्षेत्र में भी बदलाव
यह साल शिक्षा के क्षेत्र में भी काफी बदलाव लेकर आया। विद्यालयों में जहां बीपीएससी के तहत नए शिक्षकों की बहाली हुई। वहीं, विद्यालयी व्यवस्था की लगातार निगरानी कर उसमें अहम सुधार लाया गया। आलम यह हुआ कि मुखिया जी की वैसी बहू, जिसने नियोजन के बाद से विद्यालय का मुंह तक नहीं देखा था, उन्होंने भी विद्यालय में योगदान कर लिया।
ऐसे में पहले के सापेक्ष विद्यालयों की स्थिति अब काफी बदल गई है। नियोजित और नियमित शिक्षक अब न केवल नियमित स्कूल जाने लगे हैं, बल्कि वहां समय भी देने लगे हैं। विद्यालय से गायब होने पर या विलंब से विद्यालय पहुंचने पर उन्हें डर सताता रहता है कि कहीं जांच में पकड़े न जाएं। ऐसी परिस्थिति में शिक्षक समय के पाबंद हो गए हैं।
इंजीनियरिंग कालेज में शुरू हुई पढ़ाई
इस साल इंजीनियरिंग कालेज के बच्चों को बख्तियारपुर जाने से निजात मिली और उन लोगों की पढ़ाई जिले में स्थित अभियंत्रण महाविद्यालय में शुरू हुई। जिला मुख्यालय के सदर प्रखंड स्थित महदह में 77 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित अभियंत्रण महाविद्यालय में कक्षाओं का संचालन इस साल के अप्रैल से शुरू किया गया। यहां आठ एकड़ में फैला शैक्षणिक परिसर में बच्चों को आधुनिक कक्षाओं, अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं और कंप्यूटर सुविधाओं का लाभ मिल रहा है।
कायाकल्प योजना में यूपीएचसी को मिला उप विजेता का खिताब
इस साल जिला मुख्यालय स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (यूपीएचसी) को कायाकल्प योजना में उप विजेता का खिताब मिला। यूपीएचसी 85 अंकों के साथ उप विजेता बना। राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक द्वारा जारी कायाकल्प योजना का परिणाम में विभिन्न क्लस्टर के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बक्सर को उप विजेता तथा सदर अस्पताल एवं सिमरी तथा ब्रह्मपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को सराहना पुरस्कार मिले।
नगर परिषद को मिला डंपिंग जोन, कब्रिस्तान सड़क की बदली तस्वीर
काफी दिनों से डंपिंग जोन के लिए परेशान नगर परिषद को इस साल इधर-उधर कूड़ा फेंकने से भी निजात मिल गई। नगर परिषद को इटाढ़ी के खतिबा में डंपिंग जोन मिल गया। दूसरी तरफ दूधपोखरी कब्रिस्तान की जर्जर सड़क से नगर वासियों को निजात मिली। यह सड़क काफी दिनों से जर्जर थी और इसका कायाकल्प नहीं हो रहा था लेकिन, इस साल इसको बना दिया गया। इसी तरह जेल पईन रोड के रूप भी लोगों को एक चौड़ी सड़क मिल गई।
बक्सर-मोहनिया सड़क के निर्माण की कवायद तेज, एजेंसी चयनित
इस साल बक्सर-मोहनिया सड़क के निर्माण की कवायद भी शुरू हो गई। बताया जाता है कि इसके लिए एजेंसी चयनित हो गई है। इसके तहत बक्सर-चौसा सेक्शन में सड़क पर जिनकी जमीन पड़ रही है, उनको मुआवजा भी दिया जा रहा है। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर कई बार कैंप का आयोजन किया गया और किसानों से आवेदन लिए गए।
किसानों को खरीफ में नहीं दिक्कत, रबी में उर्वरक के लिए हुए परेशान
यह साल किसानों के लिए मिलाजुला रहा। खरीफ में धान की खेती के समय किसानों को उर्वरक की परेशानी नहीं हुई यह उन्हें आसानी से उपलब्ध था। हालांकि, रबी फसल की बुआई के दौरान किसानों को उर्वरक के लिए काफी परेशान होना पड़ रहा है। या यूं कहे कि डीएपी एवं यूरिया के लिए किसानों को नाको चने चबाने पड़ रहे हैं।
सियासत की पिच पर हुआ बदलाव, भाजपा ने गंवाया गढ़
यह साल सियासत के खिलाड़ियों के लिए भी यादगार रहा। लोकसभा चुनाव में लगातार से दो बार से विजय पताका फहरा रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता अश्विनी कुमार चौबे को भाजपा ने मैदान में नहीं उतारा और उनका टिकट काटकर गोपालगंज के पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी को अखाड़े में खड़ा कर दिया।
नतीजा यह हुआ कि भाजपा ने अपना पुराना किला गंवा दिया और राष्ट्रीय जनता दल के सुधाकर सिंह ने सांसद का सेहरा पहन लिया। हालांकि, हार-जीत के लिए उस समय के कई तरह के समीकरण भी जिम्मेवार रहे। लेकिन यह कहना गलत नहीं कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा के लिए यह साल अच्छा नहीं रहा।