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24 घंटे में कैसे कर दी चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा सवाल

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चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई. इस दौरान संविधान पीठ ने इतनी तेजी से जांच पूरी कर आयुक्त की नियुक्ति करने पर सवाल उठाए. इस पर केंद्र की तरफ से कोर्ट में पेश अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वो सभी बातों का जवाब देंगे, लेकिन अदालत उनको बोलने का मौका दे |

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को फिर सुनवाई हुई. इस दौरान केंद्र सरकार ने संविधान पीठ को अरुण गोयल की आयुक्त पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया से संबंधित फाइल सौंपी. सरकार ने कहा कि नियुक्ति की ओरिजिनल फाइल की प्रतियां पांचों जजों को दी गई हैं |

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छपरा: बीजेपी के लिए उर्वर भूमि, सदस्यता अभियान के दौरान बिहार के पूर्व मंत्री श्री जीवेश मिश्रा की सुखद अनुभूति” | BJP ने मात्र 45 दिनों में सदस्यों की संख्या लगभग दस करोड़ से भी ज्यादा कर ली है।

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पुरे विश्व में भाजपा एकमात्र सबसे अधिक सदस्यता वाली राजनितिक पार्टी के रूप में अपनी पहचान बनाई है। “छपरा में बीजेपी के प्रति उत्साह बढ़ता जा रहा है! सभी विधानसभा क्षेत्रों में सदस्यता में अभूतपूर्व वृद्धि, अमनौर विधायक श्री कृष्ण कुमार मंटू एवं अन्य लोगो की उपस्थिति से यह साबित होता है कि कार्यकर्ताओं का समर्पण अद्वितीय है।”

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इस बार नीतीश के निशाने पर ये दो नेता, 28 को बैठक में सुनाने से चूकेंगे नहीं नीतीश?

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पटना: बिहार के सीएम और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने जनवरी 2024 में इंडिया ब्लॉक से अलग होकर एनडीए से हाथ मिला लिया। तब से वे लगातार कहते आ रहे हैं कि अब आरजेडी से कभी हाथ नहीं मिलाएंगे। इसके बावजूद आरजेडी के नेता उनकी बातों पर भरोसा नहीं कर रहे। आरजेडी की सांसद मीसा भारती हों या पूर्व डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव, सभी नीतीश को समय-समय पर साथ आने का इशारा करने से नहीं चूकते। तेजस्वी कहते हैं कि भाजपा ने चाचा सीएम को हाईजैक कर लिया है। आरजेडी के विधायक भाई वीरेंद्र और मुकेश रौशन तो यह भी दावा करते हैं कि नीतीश बहुत जल्द आरजेडी के साथ आएंगे।

नीतीश की नाराजगी की कई वजहें

दरअसल आरजेडी को मालूम है कि नीतीश कुमार का भाजपा की नीतियों से तालमेल नहीं बैठ पा रहा है। चाहे वक्फ बोर्ड संशोधन बिल की बात हो या भाजपा नेताओं के मुसलमानों को लेकर भड़काऊ बयान, नीतीश की नीतियों और उनके सिद्धांतों से वे मेल नहीं खाते। झारखंड विधानसभा चुनाव में दो सीटें मिलने से भी उनकी नाराजगी है। भाजपा के फायरब्रांड नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की हिन्दू स्वाभिमान यात्रा से नीतीश खुश नहीं थे। नीतीश की नाराजगी को भांप कर ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने यात्रा को गिरिराज का निजी कार्यक्रम करार दे दिया। नीतीश की नाराजगी भाजपा सांसद प्रदीप सिंह के उस बयान पर भी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अररिया में रहना है तो हिन्दू बन कर रहना होगा। नीतीश ने दोनों मामलों में खुद कुछ नहीं कहा है, लेकिन जेडीयू को इस पर घोर आपत्ति है।

झारखंड में दो सीटों का झुनझुना

नीतीश कुमार मन ही मन इससे भी खफा हैं कि जेडीयू को भाजपा ने झारखंड विधानसभा चुनाव में सिर्फ दो ही सीटें दीं। जेडीयू 11 सीटों की दावेदारी कर रहा था। जेडीयू ने मन मसोस कर मिली सीटें कबूल तो कर लीं, लेकिन अपनी नाराजगी का इजहार जेडीयू के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो ने जाहिर कर दी। सीटों की घोषणा के लिए हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में वे शामिल ही नहीं हुए। खीरू के बेटे ने नाराज होकर जेडीयू की सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। नीतीश कुमार ने इस बाबत अपनी ओर से कुछ नहीं कहा। कहा जा रहा है कि इससे नीतीश झारखंड के प्रभारी अशोक चौधरी से भी खफा हैं। सीटों के बाबत बातचीत के लिए पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह को दायित्व सौंपा था। वे भी सम्मानजनक सीट हासिल करने में नाकाम रहे।

भाजपा सांसद का भड़काऊ बयान

अररिया में भाजपा सांसद प्रदीप सिंह के बयान से नीतीश कुमार का नाराज होना स्वाभाविक है। प्रदीप सिंह का बयान नीतीश के विचारों से रत्ती भर भी मेल नहीं खाता। नीतीश ने चुप्पी साध ली है। हालांकि प्रदीप सिंह ने अपने बयान को लेकर सफाई भी दी है। नीतीश इस मुद्दे पर 28 अक्टूबर को बिहार एनडीए की होने वाली बैठक में भाजपा नेताओं से बात कर सकते हैं। गिरिराज सिंह की हिन्दू स्वाभिमान यात्रा भी जेडीयू को रास नहीं आई है। इस पर नीतीश कुमार तो चुप रहे, लेकिन जेडीयू ने जिस तरह आपत्ति जताई, उससे यह तो पता चल ही जाता है कि नीतीश कुमार को भी गिरिराज की यात्रा से खुशी नहीं हुई है।


एनडीए की 28 अक्टूबर को बैठक

नीतीश कुमार ने 28 अक्टूबर को एनडीए की बैठक बुलाई है। बताया जा रहा है कि बैठक के दौरान नीतीश ऐसे कार्यक्रमों और बयानों के लिए भाजपा को हिदायत देंगे। सामने चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव है। ऐसे में मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ बयान से जेडीयू को होने वाले नुकसान का नीतीश को अंदाजा है। एनडीए की बैठक के बाद नीतीश जेडीयू नेताओं के साथ अलग से बंद कमरे में बैठक करेंगे। बैठक में एनडीए के सभी घटक दलों के विधायकों, विधान परिषद सदस्यों और लोकसभा-राज्यसभा सदस्यों के अलावा पार्टी पदाधिकारियों, जिला अध्यक्षों को भी बुलाया गया है। विधानसभा उपचुनाव और अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए बैठक में रणनीति बननी है। विपक्ष के हमलों और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की चुनौतियों पर भी चर्चा हो सकती है।

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मीरापुर उपचुनाव: भितरघातियों को दिखाया गया बाहर का रास्ता, बालियान ने लोकसभा चुनाव के नतीजों से लिया सबक।

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मीरापुर में भाजपा और रालोद के 25 से अधिक नेताओं के बीच टिकट की दावेदारी की कड़ी प्रतिस्पर्धा थी, लेकिन डा. संजीव बालियान की रणनीति ने मिथलेश पाल को टिकट दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

लोकसभा चुनाव के नतीजों का असर मीरापुर विधानसभा के उपचुनाव में टिकट पर भी नजर आया। मुजफ्फरनगर और बिजनौर लोकसभा सीट पर भितरघात का हवा देने वाले कईं दावेदारों को मायूसी झेलनी पड़ी। पूर्व मंत्री डॉ. संजीव बालियान के साथ खड़ी रहने वाली पूर्व विधायक मिथलेश पाल टिकट हासिल करने में कामयाब रहीं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और पूर्व मंत्री बालियान ने उनके टिकट की राह आसान की।

रालोद की अंर्तकलह से छिटका टिकट, भाजपा की झोली में गिरा
मीरापुर उपचुनाव के टिकट को लेकर भाजपा-रालोद गठबंधन के दिग्गज नेताओं के बीच सियासी कद का खूब टकराव हुआ। रालोद की अंर्तकलह से टिकट छिटककर भाजपा के खेमे में पहुंचा। पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान ने लखनऊ से दिल्ली तक पूर्व विधायक मिथलेश पाल की पैरवी की।

खेमेबंदी का उठाना पड़ा नुकसान
लोकसभा चुनाव में हुई खेमेबंदी का नुकसान भाजपा प्रत्याशी को उठाना पड़ा था। सिर्फ मुजफ्फरनगर ही नहीं, बल्कि बिजनौर लोकसभा क्षेत्र की मीरापुर सीट पर भी तब भाजपा और रालोद के कई बड़े नेताओं के नाम भितरघात की चर्चा में शामिल रहे। इनमें कईं मीरापुर से टिकट के दावेदार बन गए थे।

सपा के बाद रालोद ने भी महिला प्रत्याशी पर दांव खेला, जब सुम्बुल राणा का टिकट मिलने पर पूर्व मंत्री बालियान ने पूर्व विधायक मिथलेश पाल का नाम सामने रखा। रालोद के पास मजबूत महिला उम्मीदवार की कमी का फायदा भाजपा के रणनीतिकारों को मिला।

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