"छोटी दिवाली पर यम देवता की विशेष पूजा का महत्व है, क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने 16,000 कन्याओं को नरकासुर के बंदीगृह से मुक्त कराकर न्याय और धर्म की विजय सुनिश्चित की।" - Times News Live 3D Social Icons - Top NavigationDocument
Latest News Viral NewsBusiness Job

spiritual

“छोटी दिवाली पर यम देवता की विशेष पूजा का महत्व है, क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने 16,000 कन्याओं को नरकासुर के बंदीगृह से मुक्त कराकर न्याय और धर्म की विजय सुनिश्चित की।”

Published

on

“नरकासुर ने 16,000 कन्याओं को बंधक बना रखा था, जिन्हें भगवान कृष्ण ने अपने साहस और बलिदान से मुक्त कराया। जब कन्याएं आज़ादी पाकर श्री कृष्ण के पास आईं, तो उन्होंने चिंतित स्वर में पूछा, ‘क्या हमें समाज फिर से स्वीकार करेगा? हमारा भविष्य अब क्या होगा ?

“दिवाली से एक दिन पूर्व, बुधवार को छोटी दिवाली धूमधाम से मनाई गई, जिसे देश के विभिन्न हिस्सों में नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। छोटी दिवाली पर यम देवता की पूजा भी विशेष रूप से की जाती है।

भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध कर 16,000 बंधक कन्याओं को मुक्त किया। जब वे आज़ाद हुईं, तो उन्हें समाज में पुनः स्वीकार होने की चिंता सताने लगी। अपनी इस उलझन के साथ, सभी कन्याएं भगवान श्री कृष्ण के पास गईं और अपने भविष्य के बारे में सवाल पूछने लगीं।”

“नरकासुर से मुक्त होने के बाद, 16,000 कन्याएं भगवान श्री कृष्ण के पास गईं और अपनी चिंता व्यक्त की, ‘भगवान, क्या समाज हमें स्वीकार करेगा? अब हमें क्या करना चाहिए?’ इस पर भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा ने सुझाव दिया कि वे सभी श्री कृष्ण से विवाह कर लें, जिससे वे उनकी पत्नी के रूप में सम्मानित की जाएंगी।

छोटी दिवाली के अवसर पर लोग गंगा स्नान या अभ्यंग स्नान करते हैं, क्योंकि शास्त्रों के अनुसार, इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पाप मिट जाते हैं और जातक नरक के कष्टों से बच जाता है।”

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

spiritual

खरना के रोटी और खीर का प्रसाद ग्रहण कर श्रद्धालुओं ने किया , डूबते सूर्य को आज देंगे अर्घ्य

Published

on

पूरे दिन निर्जला उपवस के बाद श्रद्धालुओं ने सायंकाल सूर्य देव की पूजा अर्चना की और रोटी, गुड़ और खीर का प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर प्रसाद को न केवल अपने परिवार बल्कि आस-पास के लोगों के बीच भी वितरित किया गया, जिससे परस्पर सौहार्द और एकता का संदेश दिया गया। श्रद्धालुओं ने पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ सूर्य देव की उपासना में खुद को समर्पित किया।

चार दिवसीय छठ महापर्व के दूसरे दिन बुधवार को श्रद्धालुओं ने पारंपरिक रूप से खरना किया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने पूरे दिन निर्जला व्रत रखा और सायंकाल सूर्य देवता की पूजा-अर्चना के बाद रोटी, गुड़ और खीर का प्रसाद ग्रहण किया। प्रसाद को न केवल परिवार के सदस्यों, बल्कि आस-पास के लोगों में भी बांटा गया, जिससे एकजुटता और सामूहिक सौहार्द का संदेश दिया गया। श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर सूर्य देवता के प्रति अपनी निष्ठा और भक्ति प्रकट करते हुए स्वयं को समर्पित किया।

छठ महापर्व की शुरुआत मंगलवार को नहाय-खाय के साथ हुई, जब व्रतियों ने पवित्र नदियों और तालाबों में स्नान कर शुद्धता का प्रतीकात्मक संकल्प लिया और शाकाहारी भोजन ग्रहण किया। नहाय-खाय के बाद बुधवार को खरना का आयोजन हुआ, जो इस महापर्व का एक अहम हिस्सा है और इसे श्रद्धालुओं द्वारा पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाया जाता है।

अर्घ्य की तैयारी और श्रद्धालुओं का उत्साह
बृहस्पतिवार को श्रद्धालु अस्ताचल सूर्य को पहला अर्घ्य देंगे, जिसके लिए दिल्ली के विभिन्न बाजारों में चहल-पहल बढ़ गई है। श्रद्धालु अर्घ्य देने के लिए आवश्यक पूजन सामग्री जैसे फल, गन्ना, नारियल, मिट्टी के दीपक और अन्य सामग्री खरीद रहे हैं। साथ ही, ठेकुआ बनाने की तैयारी भी जोरों पर है, जिसे सूर्य देव को अर्पित किया जाएगा।

घाटों पर भव्य तैयारियां
सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के लिए दिल्ली के यमुना नदी और अन्य प्रमुख घाटों पर लाखों श्रद्धालुओं के एकत्र होने की संभावना है। बृहस्पतिवार की शाम और शुक्रवार की सुबह श्रद्धालु जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देंगे। इसके अलावा, इंडिया गेट के बोट क्लब, पश्चिमी यमुना नहर और विभिन्न तालाबों पर भी अर्घ्य अर्पित करने की व्यवस्था की गई है। सभी घाटों पर पंडाल लगाए गए हैं और दिवाली की तरह सजावट की गई है, जिससे यह पर्व और भी भव्य बन गया है।

Continue Reading

spiritual

Chhath Puja Kharna 2024

Published

on

छठ पूजा का महापर्व, खास तौर पर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाने वाला आस्था का अद्भुत पर्व है। इस पर्व में सूर्य देव की उपासना के साथ-साथ कठिन व्रत, तप और श्रद्धा का अद्वितीय संगम होता है। छठ पूजा साल में दो बार मनाई जाती है—पहली बार चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर और दूसरी बार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर। इस पूजा में 36 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है, जिसे सबसे कठिन व्रत माना जाता है।

इस वर्ष छठ महापर्व की शुरुआत 5 नवंबर को ‘नहाय-खाय’ से हो चुकी है, और आज 6 नवंबर को ‘खरना’ है। खरना का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है, जब भक्त अपने व्रत का समापन कर पारंपरिक प्रसाद—खीर, रोटियां, और गुड़ का भोग सूर्य देव को अर्पित करते हैं।

आप भी अपने प्रियजनों और रिश्तेदारों को इस शुभ अवसर पर शुभकामनाएं भेजें, और दुआ करें कि यह महापर्व सभी के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य लाए।

सूर्य देव की कृपा बनी रहे,
खुशियों से घर आंगन सजाए,
छठ के इस पावन अवसर पर,
सफलता और समृद्धि लाए।
🌿🌟

Continue Reading

cities

“नहाय-खाय से शुरू हुआ छठ महापर्व, आस्था, श्रद्धा और समर्पण का एक अद्वितीय संगम है।”

Published

on

“आज, 5 नवंबर 2024, मंगलवार से छठ महापर्व की शुभ शुरुआत हो चुकी है। छठ के पहले दिन ‘नहाय-खाय’ की परंपरा से इस महापर्व का उल्लास आरंभ होता है। आइए, जानें कि इस दिन नहाय-खाय में कौन-कौन से महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए।”

हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत होती है। इस साल, 5 नवंबर 2024, मंगलवार से छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। छठ के पहले दिन ‘नहाय-खाय’ की परंपरा से व्रत की धारा शुरू होती है, जिसमें व्रती सुबह स्नान करके सात्विक भोजन करते हैं। नहाय-खाय से आरंभ होकर यह पर्व उषा अर्घ्य के साथ संपन्न होता है। इन चार दिनों में व्रत के कई नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। तो आइए, जानते हैं छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय में किन विशेष नियमों का पालन करना चाहिए।

छठ पूजा में नहाय-खाय का महत्व
नहाय-खाय के दिन व्रती तालाब, नदी या घर में स्नान कर शुद्ध होते हैं। छठ पूजा में इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि इसके साथ ही इस पावन पर्व की शुरुआत होती है। नहाय-खाय के दिन व्रती सात्विक आहार ग्रहण करके खुद को पवित्र करते हैं, जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से छठ पूजा के लिए तैयार हो जाते हैं। यह दिन व्रतियों के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और उन्हें आत्मिक शांति प्रदान करता है।

नहाय-खाय के नियम

  1. नहाय-खाय के दिन पहले घर को साफ-सुथरा किया जाता है।
  2. व्रती को प्रात:काल उठकर स्नान करके शुद्ध होना चाहिए।
  3. नहाय-खाय के दिन नया या साफ वस्त्र पहनें।
  4. सूर्य देव को जल अर्पित करें और फिर उन्हें भोग लगाकर भोजन ग्रहण करें।
  5. इस दिन केवल सात्विक भोजन बनाएं, और प्याज-लहसुन से बचें।
  6. कद्दू की सब्जी, लौकी चने की दाल और भात खाने की परंपरा है।
  7. व्रती सबसे पहले भोजन करें, फिर परिवार के अन्य सदस्य खाएं।
  8. परिवार के अन्य सदस्यों को भी सात्विक भोजन ही करना चाहिए।

Continue Reading

Trending