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क्या दिल्ली में हुए धमाके का परिणाम किसी बड़ी साजिश है, और एजेंसियां किस दृष्टिकोण से इसकी जांच कर रही हैं?

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दिल्ली के रोहिणी इलाके में सीआरपीएफ स्कूल के पास हुए धमाके की जांच दिल्ली पुलिस, एनआईए और एनएसजी की टीमें कर रही हैं, जिसमें आतंकी हमले का पहलू भी शामिल है। यह धमाका रविवार सुबह करीब सात बजे हुआ।

दिल्ली के रोहिणी इलाके में हुए धमाके की जांच तेज हो गई है। दिल्ली पुलिस समेत केंद्रीय जांच एजेंसिया हर कोट से जांच कर रही हैं। पाकिस्तान से चलने वाले टेलीग्राम चैनल पर इस धमाके में खालिस्तानी उग्रवादियों के शामिल होने का दावा किया गया है। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने इसमें खालिस्तानी एंगल से भी जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने टेलीग्राम से चैनल के बारे में जानकारी मांगी है। रविवार को हुए इस विस्फोट में सीआरपीएफ स्कूल की दीवार का एक हिस्सा और आसपास के कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए थे, हालांकि कोई भी घायल नहीं हुआ था।

दिल्ली में धमाके की घटना कब और कहां हुई?
नई दिल्ली के रोहिणी के पास प्रशांत विहार इलाके में रविवार सुबह (20 अक्तूबर) सीआरपीएफ स्कूल के पास एक तेज धमाका हुआ। इस स्कूल में सीआरपीएफ और अन्य अर्धसैनिक बल के परिवार के बच्चे पढ़ते हैं। घटना में किसी के घायल होने की खबर नहीं है, लेकिन आसपास के वाहनों और संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है। घटना के सीसीटीवी फुटेज में धमाके की तेज आवाज सुबह करीब 7:03 बजे सुनी गई। पुलिस के अनुसार, रोहिणी सेक्टर 14 में सीआरपीएफ स्कूल के पास विस्फोट के बारे में सुबह 7:47 बजे पुलिस नियंत्रण कक्ष में एक कॉल आई। इस पर, स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) और उनकी टीम मौके पर पहुंची, जहां स्कूल दीवार क्षतिग्रस्त पाई गई। घटनास्थल से दुर्गंध आ रही थी और पास की दुकानों और पास में खड़ी कारों की खिड़कियां टूट गई थीं। 

घटनास्थल पर मौजूद एक प्रत्यक्षदर्शी ने एएनआई को बताया, ‘हम घर पर बैठे थे, तभी हमें एक जोरदार धमाका सुनाई दिया। पहले तो हमें समझ में नहीं आया कि क्या हुआ, हमें लगा कि कोई सिलेंडर फट गया है। फिर हम नीचे भागे और देखा कि हर जगह बहुत सारा पीला धुआं था, इसलिए हमने पुलिस को फोन किया।’

प्रत्यक्षदर्शी ने घटनास्थल पर संपत्ति के नुकसान के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘सभी शीशे टूट गए थे। हमने इतना तेज धमाका सुना कि हमें लगा कि हमारी इमारत भी हिल रही है। विस्फोट के कारण हमारी पार्किंग के पास के गेट का ताला भी टूट गया।’

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अब हमारे बीच नहीं रहीं देश की मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा

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बिहार की कोकिला शारदा सिन्हा की गायिकी में न सिर्फ बिहार की, बल्कि समूचे भारत की लोक संस्कृति की गहरी छाप बसी हुई है। उनके द्वारा गाए गए गीतों में छठ, विवाह, और होली जैसे पर्वों की आत्मा समाई है। इन गीतों ने न केवल बिहार के घर-घर में अपनी विशेष पहचान बनाई, बल्कि पूरे देशभर में लोक संगीत की धारा को संजीवनी दी है। शारदा सिन्हा के सैकड़ों गीत आज भी हर दिल में बसे हुए हैं, और हर त्योहार की खुशी में रंग भरते हैं।

देश की मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा अब हमारे बीच नहीं रहीं, लेकिन उनकी आवाज हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगी। दिवाली से लेकर छठ महापर्व तक उनके गाए हुए गीत हर घर, हर गली और हर छठ घाट पर गूंजते रहते हैं, और उनकी संगीत की छाप भारतीय लोक संस्कृति पर अमिट रहेगी। मंगलवार रात दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली, और उनके निधन से यूपी-बिहार ही नहीं, बल्कि पूरा देश गहरे शोक में डूब गया। महज 72 साल की उम्र में उनका यह अचानक निधन एक अपूरणीय क्षति है। उनके बेटे अंशुमान सिन्हा के अनुसार, शारदा जी मल्टीपल मायलोमा जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं, जो कैंसर का एक प्रकार है। 2017 से ही वह इस बीमारी से संघर्ष कर रही थीं, लेकिन उन्होंने कभी अपनी बीमारी को सार्वजनिक नहीं किया और हमेशा हंसते हुए, जनता के बीच अपनी आवाज से सुख और उल्लास फैलाती रहीं।

अंशुमान सिन्हा के अनुसार, शारदा सिन्हा 2017 से मल्टीपल मायलोमा जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं, और हम परिवार के लोग इसे अच्छी तरह जानते थे। उनकी हमेशा यह इच्छा रही कि उनकी व्यक्तिगत पीड़ा को कभी सार्वजनिक न किया जाए। वह अपनी तकलीफों का ब्योरा देने से अधिक पसंद करती थीं, बजाय इसके कि कोई उनकी बीमारी पर चर्चा करे। उनका दृढ़ निश्चय और हिम्मत हमेशा प्रेरणादायक रही, और यही वजह है कि वह अपनी संघर्षों को बिना किसी शिकायत के अपने संगीत और हंसी में छिपाए रखती थीं।

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“नहाय-खाय से शुरू हुआ छठ महापर्व, आस्था, श्रद्धा और समर्पण का एक अद्वितीय संगम है।”

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“आज, 5 नवंबर 2024, मंगलवार से छठ महापर्व की शुभ शुरुआत हो चुकी है। छठ के पहले दिन ‘नहाय-खाय’ की परंपरा से इस महापर्व का उल्लास आरंभ होता है। आइए, जानें कि इस दिन नहाय-खाय में कौन-कौन से महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना चाहिए।”

हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत होती है। इस साल, 5 नवंबर 2024, मंगलवार से छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। छठ के पहले दिन ‘नहाय-खाय’ की परंपरा से व्रत की धारा शुरू होती है, जिसमें व्रती सुबह स्नान करके सात्विक भोजन करते हैं। नहाय-खाय से आरंभ होकर यह पर्व उषा अर्घ्य के साथ संपन्न होता है। इन चार दिनों में व्रत के कई नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। तो आइए, जानते हैं छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय में किन विशेष नियमों का पालन करना चाहिए।

छठ पूजा में नहाय-खाय का महत्व
नहाय-खाय के दिन व्रती तालाब, नदी या घर में स्नान कर शुद्ध होते हैं। छठ पूजा में इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि इसके साथ ही इस पावन पर्व की शुरुआत होती है। नहाय-खाय के दिन व्रती सात्विक आहार ग्रहण करके खुद को पवित्र करते हैं, जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से छठ पूजा के लिए तैयार हो जाते हैं। यह दिन व्रतियों के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और उन्हें आत्मिक शांति प्रदान करता है।

नहाय-खाय के नियम

  1. नहाय-खाय के दिन पहले घर को साफ-सुथरा किया जाता है।
  2. व्रती को प्रात:काल उठकर स्नान करके शुद्ध होना चाहिए।
  3. नहाय-खाय के दिन नया या साफ वस्त्र पहनें।
  4. सूर्य देव को जल अर्पित करें और फिर उन्हें भोग लगाकर भोजन ग्रहण करें।
  5. इस दिन केवल सात्विक भोजन बनाएं, और प्याज-लहसुन से बचें।
  6. कद्दू की सब्जी, लौकी चने की दाल और भात खाने की परंपरा है।
  7. व्रती सबसे पहले भोजन करें, फिर परिवार के अन्य सदस्य खाएं।
  8. परिवार के अन्य सदस्यों को भी सात्विक भोजन ही करना चाहिए।

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इस बार 3 नवंबर 2024 को भाई दूज का त्योहार मनाया जा रहा है। 

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भाई दूज का त्योहार है बेहद खास,
भाई-बहन के रिश्ते में हो हमेशा मिठास।
सदा खुशियों से भरा रहे ये जीवन का सफर,
भाई दूज की शुभकामनाएं, रहे हर दिन प्यार भरा।

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। इस साल, 3 नवंबर 2024 को यह त्योहार मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी दिन यमुना ने भाई यम को अपने घर आमंत्रित किया और उन्हें टीका कर सम्मानित किया, तभी से इस पर्व की शुरुआत हुई। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है।

भाई दूज के इस खास दिन, बहनें भाई के माथे पर तिलक कर उनके सुखमय जीवन और उज्जवल भविष्य की प्रार्थना करती हैं। इस दिन भगवान कृष्ण, यमदेव और यमुना की पूजा करने से अकाल मृत्यु का संकट टल जाता है।

इस वर्ष भाई दूज पर सुबह 11 बजकर 39 मिनट तक सौभाग्य योग रहेगा, उसके बाद शोभन योग शुरू होगा। इस शुभ अवसर पर प्यारे भाई को संदेश भेजकर शुभकामनाएं देना न केवल रिश्तों में मिठास और विश्वास बढ़ाएगा, बल्कि इस दिन की खुशियों को भी दोगुना करेगा।

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