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Union Public Service Commission : कांग्रेस सांसद ने संयुक्त चिकित्सा सेवा परीक्षा परिणामों में पारदर्शिता की कमी पर सवाल उठाए, पीएम को भेजा पत्र।

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कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने यूपीएससी संयुक्त चिकित्सा सेवा परीक्षा में ओबीसी श्रेणी से संबंधित नियुक्तियों में विसंगतियों पर चिंता जताते हुए पीएम मोदी को पत्र लिखा और पारदर्शिता की जांच की मांग की।

कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संयुक्त चिकित्सा सेवा परीक्षा के परिणामों पर चिंता जताई है, जिसमें रिक्तियों की घोषणा में पारदर्शिता की कमी, नियुक्ति प्रक्रिया में विसंगतियां और आरक्षण नीति का उल्लंघन होने का आरोप लगाया है। उन्होंने ओबीसी रिक्तियों के समायोजन की जांच के लिए एक समिति गठित करने की मांग की है।

यह कहते हुए कि ओबीसी सहित सभी समुदायों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा लोकतंत्र की नींव है, टैगोर ने सरकार से इन अनियमितताओं को दूर करने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की अपील की और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया कि न्याय और समानता के सिद्धांतों का पालन किया जाए।

कांग्रेस नेता ने अपने पत्र में कहा, “मैं संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित संयुक्त चिकित्सा सेवा परीक्षा 2024 के परिणामों और नियुक्ति प्रक्रिया में गहरी चिंता व्यक्त करता हूं, विशेष रूप से केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग के श्रेणी-I चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्तियों के संबंध में।” टैगोर ने आरोप लगाया कि इन नियुक्तियों में पारदर्शिता की कमी और ओबीसी श्रेणी की रिक्तियों को सही तरीके से शामिल न करने जैसी विसंगतियां हैं, जिसके कारण समानता और आरक्षण के सिद्धांतों का उल्लंघन हो रहा है।

टैगोर ने कहा,”14 नवंबर, 2024 को प्रेस सूचना ब्यूरो द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, श्रेणी- I के लिए 163 रिक्तियों की घोषणा की गई थी, जिसमें ओबीसी उम्मीदवारों के लिए कोई रिक्तियां आवंटित नहीं की गईं। हालांकि, अंतिम अनुशंसा सूची में दो अतिरिक्त के साथ 22 ओबीसी उम्मीदवार शामिल हैं।

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Bihar Teacher News: 13 महीने से वेतन के लिए तरसे बिहार के 50 से ज्यादा शिक्षक, अब सीएम से न्याय की अपील

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कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जहां नवनियुक्त शिक्षकों को 13 महीनों से वेतन नहीं मिला। अब शिक्षकों के सामने जीवनयापन का भी संकट खड़ा हो गया है। उनके द्वारा राज्यपाल और सीएम से वेतन के भुगतान की मांग की गई है। यहां 60 शिक्षक बगैर वेतन 13 महीनों से सेवा दे रहे हैं।

बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग से नियुक्त कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के करीब 60 शिक्षक बगैर वेतन 13 महीनों से सेवा दे रहे हैं। इसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। अब जीवनयापन पर भी संकट दिख रहा है।

CM और राज्यपाल से लगाई गुहार

  • इसको देखते हुए विश्वविद्यालय के व्याकरण, ज्योतिष, दर्शन एवं हिंदी के शिक्षकों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, कुलाधिपति सह राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को पत्र भेजकर वेतन की गुहार लगाई है।
  • नवनियुक्त शिक्षकों ने कहा कि वह देशभर के विभिन्न हिस्सों से यहां आकर सेवा दे रहे हैं। परिवार को चलाने में हर महीने खर्च होते हैं, लेकिन वेतन नहीं मिलने के कारण उधारी राशन एवं कर्ज से जीवन चल रहा है।

कर्ज लेकर चला रहे जीवन

कर्ज इतने हो चुके हैं कि अब लोग कर्ज देने से भी मना कर रहे हैं। बताया कि वर्ष 2023 अप्रैल में योगदान देने के बाद से अब तक 19 महीना हो चुका है।

इसमें अब तक केवल तीज-त्योहार में महज पांच महीनों का ही वेतन मिला है। मामले को लेकर कुलसचिव ने बताया कि सरकार से राशि नहीं मिलने के कारण शिक्षकों का भुगतान नहीं हो सका है।

बिहारशरीफ : वेतन नहीं मिलने से शिक्षकों में मायूसी

बीपीएससी एनेक्चर वन व टू के शिक्षकों को दिसंबर माह का वेतन नहीं मिलने से मायूसी है। हालांकि, नियोजित व सक्षमता पास कुछ शिक्षकों को वेतन का भुगतान कराया गया है।

जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार ने बताया कि तकनीकी खराबी आने के कारण दिसंबर माह के वेतन में विलंब हो रहा है। दो-तीन दिन में संभवत: तकनीकी खराबी दूर कर सभी का भुगतान करा दिया जाएगा।

नालंदा: वेतन के लिए चरणबद्ध आंदोलन करेंगे कॉलेज शिक्षाकर्मी

संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षाकर्मियों के लिए परीक्षा परिणाम आधारित अनुदान के बदले वेतन-संरचना निर्धारित कर प्रतिमाह वेतन भुगतान आदि मांगों को लेकर  प्रदर्शन करेंगे।

पच्चीस हजार शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी पांच फरवरी को राज्य के सभी विश्वविद्यालय मुख्यालयों पर धरना एवं प्रदर्शन करेंगे। इसके साथ ही 10 से 14 फरवरी तक पटना में धरना प्रदर्शन करेंगे। बजट सत्र के दौरान अनिश्चितकालीन धरना, प्रदर्शन एवं घेराव करेंगे।

बिहार राज्य संबद्ध डिग्री महाविद्यालय शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ (फैक्टनेब) के अध्यक्ष सह जीडीएम कालेज के प्राचार्य डॉ. शंभुनाथ प्रसाद सिन्हा ने बताया कि बीते पांच दिसंबर से चलाए जा रहे हस्ताक्षर अभियान के तहत लगभग पच्चास हजार हस्ताक्षरित कागजात विश्वविद्यालय, जिला एवं महाविद्यालयों के पदाधिकारियों ने महासंघ को उपलब्ध कराया गया है। यह अभियान जन सहयोग से लगातार चलाया जा रहा है।

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Bihar Board Exam 2025: बोर्ड परीक्षा में प्रवेश पत्र खोने की स्थिति में छात्र नहीं होंगे वंचित, उत्तर-पुस्तिका पर फोटो से होगी पहचान।

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Bihar Board Exams 2025: बिहार बोर्ड की परीक्षा अगले महीने से शुरू होगी। बोर्ड ने इंटरमीडिएट परीक्षा का प्रवेश पत्र जारी कर दिया है। परीक्षा में उत्तर-पुस्तिका पर छात्र की फोटो दिखेगी।

BSEB Bihar Board Exams 2025: बिहार बोर्ड की इंटरमीडिएट और मैट्रिक वार्षिक परीक्षाओं की तैयारी तेज हो चुकी है। इंटर परीक्षा का आयोजन 1 फरवरी से 15 फरवरी, 2025 तक और मैट्रिक परीक्षा 17 फरवरी से 25 फरवरी तक दो पालियों में किया जाएगा। बोर्ड ने इंटरमीडिएट परीक्षा का प्रवेश पत्र जारी कर दिया है।

इंटरमीडिएट के लिए प्रैक्टिकल परीक्षा 10 जनवरी से शुरू होकर 20 जनवरी तक चलेगी। वहीं, मैट्रिक परीक्षार्थियों के इंटरनल असेसमेंट और प्रैक्टिकल परीक्षा का आयोजन 21 से 23 जनवरी के बीच होगा। 

Bihar Board Admit Card: एडमिट कार्ड खो जाने पर भी दे सकेंगे परीक्षा

यदि किसी छात्र का एडमिट कार्ड गुम हो जाता है या गलती से वह परीक्षा केंद्र पर नहीं लाता, तो उसकी पहचान उपस्थिति पत्रक में स्कैन की गई फोटो और रोल शीट से सत्यापित कर परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी।

एडमिट कार्ड और पहचान पत्र से जुड़े निर्देश

  • इंटर और मैट्रिक परीक्षा के एडमिट कार्ड जारी कर दिए गए हैं। जिन छात्रों के एडमिट कार्ड में फोटो संबंधित त्रुटियां हैं, उन्हें परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी।
  • यदि एडमिट कार्ड पर गलत फोटो छपी हो या किसी अन्य व्यक्ति की तस्वीर हो, तो ऐसे छात्रों को अपने साथ एक मान्य पहचान पत्र लेकर परीक्षा केंद्र पर पहुंचना होगा। 
  • पहचान पत्र के रूप में आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, या फोटोयुक्त बैंक पासबुक मान्य होंगे। 
  • जिन छात्रों के एडमिट कार्ड में त्रुटि है, वे अपने पहचान पत्र की सत्यापित छायाप्रति (राजपत्रित अधिकारी द्वारा सत्यापित) परीक्षा केंद्र पर जमा करेंगे। साथ ही, उन्हें मूल पहचान पत्र के साथ स्वयं उपस्थित होना होगा। 
  • केंद्राधीक्षक छात्र के चेहरे का मिलान कर परीक्षा में बैठने की अनुमति देंगे। 
  • इसके बाद छात्रों को डाटा रहित उत्तरपुस्तिका प्रदान की जाएगी।

उत्तरपुस्तिका में होंगे फोटो और निर्देश

इस वर्ष उत्तरपुस्तिकाओं के कवर पृष्ठ पर परीक्षार्थियों की तस्वीर छपी होगी। उत्तरपुस्तिका के बाएं हिस्से में केवल विषय का नाम और उत्तर देने का माध्यम दर्ज होगा। छात्रों को अपने प्रश्न पत्र के सेट कोड को बॉक्स में भरकर उसके गोलक को सही ढंग से रंगना होगा।

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Chhapra News: छपरा में सरकारी स्कूलों के पढ़ाने के तरीके में ऐतिहासिक बदलाव, शिक्षा के स्तर में भी सुधार होगा।

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Chhapra News सारण जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने का तरीका बदला जाएगा। छात्रों को रोचक तरीके से गणित और विज्ञान पढ़ाया जाएगा। कक्षा 6 से 7 तक के बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए शिक्षकों को प्रोजेक्ट बेस्ट लर्निंग के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रत्येक प्रोजेक्ट में ५ दिनों की गतिविधियाँ होंगी जिससे छात्रों को विषयों को समझने और सीखने का मौका मिलेगा।

सारण जिले के सरकारी मध्य विद्यालयों में विद्यार्थियों को रोचक तरीके से गणित और विज्ञान विषय को पढ़ाया जाएगा। कक्षा छह से लेकर आठवीं तक के बच्चों की गणित व विज्ञान की पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है।

विद्यालयों में विज्ञान-गणित की शिक्षा को प्रभावी बनाने को लेकर कक्षा की पाठ्य पुस्तक के पाठ पर आधारित माइक्रो इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट (सूक्ष्म सुधार परियोजना) के आधार पर काम किया जाएगा।

इसको लेकर राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के निर्देश पर शिक्षा विभाग मध्य विद्यालय के गणित विज्ञान के शिक्षकों को प्रोजेक्ट बेस्ट लर्निंग (पीबीएल) के लिए प्रशिक्षण दे रहा है। एससीईआरटी की ओर से दोनों विषयों की पुस्तकों में समाहित शीर्षकों के अनुरूप प्रोजेक्ट तैयार किये गए हैं।

स्कूलों में प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग (परियोजना आधारित ज्ञान) कार्यक्रम को सरल और प्रभावी बनाने के लिए प्रत्येक प्रोजेक्ट के अंतर्गत पांच दिनों की गतिविधियां संचालित होंगी।इसमें छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तकों की बातों को पढ़कर समझने और कर के सीखने का अवसर मिलेगा।

2025-26 में सभी विद्यालयों में लागू कर दिया जाएगा

यह योजना सत्र 2025-26 में सभी विद्यालयों में शत प्रतिशत लागू कर दिया जाएगा। प्रोजेक्ट बेस्ट लर्निंग के मास्टर ट्रेनर शशि भूषण शाही ने बताया कि इसके अनुसार हर महीने में विज्ञान एवं गणित की पाठ्य पुस्तकों में से एक-एक पाठ का माइक्रो इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट सभी स्कूलों में कक्षा छह, सात और आठवीं के बच्चों के लिए भेजा जाएगा। पुस्तकों में समाहित सभी शीर्षकों से संबंधित प्रोजेक्ट के पूरा होने तक यह सिलसिला चलता रहेगा।

हर एक माइक्रो इम्प्रूवमेंट प्रोजेक्ट में तीनों कक्षाओं के एक-एक प्रोजेक्ट शामिल रहेंगे। इसकी पहुंच सभी स्कूलों तक हो, इसके लिए इसे दीक्षा एप पर अपलोड किया जाएगा। मालूम हो कि नई शिक्षा नीति 2020 के तहत अब परियोजना आधारित पढ़ाई होनी है।

इसके लिए हर स्कूल में एससीईआरटी पांच दिनों की गतिविधि भेजेगा। इसके आधार पर ही स्कूलों में पढ़ाई होगी। इससे विद्यार्थियों को गणित एवं विज्ञान के जटिल विषयों को समझने में काफी सहूलियत होगी। इसमें विद्यार्थियों के विषय को पढ़ने के साथ-साथ प्रयोगात्मक तरीके से समझाया जाएगा। ताकि उन्हें गणित एवं विज्ञान कठिन न लगें।

प्रोजेक्ट आधारित शिक्षण क्या है?

  • प्रोजेक्ट आधारित शिक्षण(पीबीएल) एक विधि है, यह एक अनुदेशात्मक पद्धति है जो छात्रों को एक आकर्षक अनुभव के माध्यम से ज्ञान और कौशल को लागू करके सीखने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • यहां छात्र अपने आसपास के चीजों की घटनाओं से सीखते हैं, इसके माध्यम से भी प्रोजेक्ट के रूप में काम करते हैं।
  • उससे वे जटिल विषयों को भी आसानी से समझ पाते हैं, इस विधि में शिक्षक एवं छात्र दोनों प्रयोगात्मक तरीके से काम करते हैं।

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