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Nokia Changes Logo After 60 Years, Replaces Iconic Blue Colour | Know Why

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NOKIA on Sunday announced that it plans on changing itsbrand identity for the first time in nearly 60 years, complete with a new logo, as the telecom equipment maker focuses on aggressive growth.

The new logo includes five different shapes forming the word NOKIA. The iconic blue colour have been replaced with a range of colours depending on the use.

“There was the association to smartphones and nowadays we are a business technology company,” Chief Executive Pekka Lundmark told Reuters in an interview.

He was speaking ahead of a business update by the company on the eve of the annual Mobile World Congress (MWC) which opens in Barcelona on Monday and runs until March 2.

After taking over the top job at the struggling Finnish company in 2020, Lundmark set out a strategy with three stages: reset, accelerate and scale. With the reset stage now complete, Lundmark said the second stage is beginning.

While Nokia still aims to grow its service provider business, where it sells equipment to telecom companies, its main focus is now to sell gear to other businesses.

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Bihar News: मेहनत की मिसाल: लखपति दीदी खुशबू देवी ने खुद की तकदीर बदली, सैकड़ों लोगों को दे रही हैं रोजगार का मौका

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आज खुशबू देवी की प्रेरणादायक कहानी पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुकी है। कभी कठिनाइयों से जूझने वाली यह महिला अब न केवल लखपति बन चुकी हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं। उनका सफर यह साबित करता है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।

मुजफ्फरपुर जिले के मड़वन प्रखंड की रहने वाली खुशबू देवी आज न केवल खुद आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि सैकड़ों महिलाओं को भी रोजगार देकर सशक्त बना रही हैं। मच्छरदानी के व्यापार से अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली खुशबू देवी को अब पूरे देश में “लखपति दीदी” के नाम से जाना जाता है।

संघर्ष से सफलता तक का सफर
कभी दाने-दाने को मोहताज रहने वाली खुशबू देवी को लोग ताने देते थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। वर्ष 2009 में उन्होंने मच्छरदानी बनाने का कार्य शुरू किया। साल 2013 में वे जीविका संगठन के “गंगा समूह” से जुड़ीं, जहां से उन्हें अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने का अवसर मिला। जीविका समूह के इनक्यूबेशन फंड से 2,67,000 की सहायता प्राप्त कर उन्होंने अपने व्यवसाय को एक नया आयाम दिया।

सैकड़ों महिलाओं को बना रही आत्मनिर्भर
खुशबू देवी ने अपनी “प्रतिज्ञा मच्छरदानी” उत्पादन इकाई की स्थापना की, जहां अब तक 62 महिलाओं को रोजगार मिल चुका है। उनके नेतृत्व में हर दिन सैकड़ों मच्छरदानियां तैयार की जा रही हैं, जो देशभर में भेजी जाती हैं। उनके प्रयासों से उनके गांव रसूलपुर (रूपवारा पंचायत, मड़वन प्रखंड, मुजफ्फरपुर) की महिलाएं भी आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं।

सरकार ने भी किया सम्मानित
उनकी मेहनत और सफलता को देखते हुए केंद्र सरकार ने उन्हें “ग्राम समृद्धि कार्यशाला” में पैनलिस्ट के रूप में आमंत्रित किया। इस कार्यशाला में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उनसे संवाद किया और “लखपति दीदी” के रूप में उनकी प्रशंसा की।

पूरे देश में बनीं रोल मॉडल
आज खुशबू देवी की प्रेरणादायक कहानी पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुकी है। कभी कठिनाइयों से जूझने वाली यह महिला अब न केवल लखपति बन चुकी हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं। उनका सफर यह साबित करता है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।

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BSEB Patna: बिहार बोर्ड इंटर परीक्षा के नए दिशा-निर्देश, छात्रों को मिली थोड़ी राहत

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Bihar board : 1 फरवरी से बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट की परीक्षा शुरू हो रही है। बोर्ड के दिशा निर्देश पहले की त्यारह ही थे, लेकिन ठंड को देखते हुए बोर्ड ने परीक्षार्थियों को थोड़ी सी राहत दी है।  

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट परीक्षा 2025 के लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। हालांकि बिहार बोर्ड ने अपने निर्देशों में थोडा सा सुधार किया है। पिछले वर्ष तक परीक्षार्थियों को जुटे पहनकर परीक्षा केंद्र के अंदर आने की इजाजत नहीं थी, लेकिन 2 फरवरी से होने वाले परीक्षा में थोड़ी सी नरमी की गई है। बोर्ड ने फिलहाल ठंड को देखते हुए चप्पल के साथ मोजा पहनने की इजाजत दे दी है, ताकि उनके स्वास्थ्य को ठंड बहुत ज्यादा प्रभावित न कर सके।

परीक्षार्थियों को मिली सहूलियत 
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने 1 फरवरी से शुरू होने वाले परीक्षा में बिहार बोर्डने मौसम को देखते हुए थोड़ी सी राहत दी है। अब तक के दिशा निर्देश के तहत परीक्षार्थियों को जुटा पहनकर परीक्षा हॉल में जाने की इजाजत नहीं थी। लेकिन लगातार बढ़ते ठंड को देखते हुए बोर्ड ने निर्णय लिया है कि बच्चे जूता नहीं पहन सकते।उन्हें चप्पल पहन कर ही परीक्षा देना होगा, लेकिन इसमें अब सहूलियत यह किया गया है कि बच्चे मोजा पहनकर परीक्षा दे सकते हैं।

परीक्षार्थी इस समय का करें जरुर पालन 
बिहार बोर्ड के 12वीं की परीक्षा 1 फरवरी 2025 से शुरू होगी जो 15 फरवरी 2025 तक चलेगी। परीक्षा दो पालियों में आयोजित की जाएगी। पहली पाली सुबह 9:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक होगी, जबकि दूसरी पाली दोपहर 2 बजे शुरू होकर शाम 5 बजे तक होगी। परीक्षार्थियों को परीक्षा शुरू होने के एक घंटा पहले यानी सुबह 8:30 बजे  से उनका प्रवेश करना शुरू हो जायेगा, जबकि 9 बजे परीक्षा केंद्र का मुख्य दरवाजा बंद कर दिया जायेगा। 9 बजे के बाद किसी भी परीक्षार्थी को अंदर जाने की इजाजत नहीं होगी। वहीं दूसरी पाली  की परीक्षा 2 बजे दोपहर से शुरू होगी इसके लिए बच्चों को 1:00 बजे तक परीक्षाकेंद्र के अंदर प्रवेश करना शुरू हो जायेगा और 1:30 बजे परीक्षा केंद्र का मुख्य दरवाजा बंद कर दिया जायेगा। बिहार बोर्ड के निर्देशों के अनुसार 1:30 बजे के बाद से परीक्षार्थियों का प्रवेश बंद हो जायेगा।

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Bihar Teacher News: 13 महीने से वेतन के लिए तरसे बिहार के 50 से ज्यादा शिक्षक, अब सीएम से न्याय की अपील

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कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है जहां नवनियुक्त शिक्षकों को 13 महीनों से वेतन नहीं मिला। अब शिक्षकों के सामने जीवनयापन का भी संकट खड़ा हो गया है। उनके द्वारा राज्यपाल और सीएम से वेतन के भुगतान की मांग की गई है। यहां 60 शिक्षक बगैर वेतन 13 महीनों से सेवा दे रहे हैं।

बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग से नियुक्त कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के करीब 60 शिक्षक बगैर वेतन 13 महीनों से सेवा दे रहे हैं। इसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। अब जीवनयापन पर भी संकट दिख रहा है।

CM और राज्यपाल से लगाई गुहार

  • इसको देखते हुए विश्वविद्यालय के व्याकरण, ज्योतिष, दर्शन एवं हिंदी के शिक्षकों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, कुलाधिपति सह राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को पत्र भेजकर वेतन की गुहार लगाई है।
  • नवनियुक्त शिक्षकों ने कहा कि वह देशभर के विभिन्न हिस्सों से यहां आकर सेवा दे रहे हैं। परिवार को चलाने में हर महीने खर्च होते हैं, लेकिन वेतन नहीं मिलने के कारण उधारी राशन एवं कर्ज से जीवन चल रहा है।

कर्ज लेकर चला रहे जीवन

कर्ज इतने हो चुके हैं कि अब लोग कर्ज देने से भी मना कर रहे हैं। बताया कि वर्ष 2023 अप्रैल में योगदान देने के बाद से अब तक 19 महीना हो चुका है।

इसमें अब तक केवल तीज-त्योहार में महज पांच महीनों का ही वेतन मिला है। मामले को लेकर कुलसचिव ने बताया कि सरकार से राशि नहीं मिलने के कारण शिक्षकों का भुगतान नहीं हो सका है।

बिहारशरीफ : वेतन नहीं मिलने से शिक्षकों में मायूसी

बीपीएससी एनेक्चर वन व टू के शिक्षकों को दिसंबर माह का वेतन नहीं मिलने से मायूसी है। हालांकि, नियोजित व सक्षमता पास कुछ शिक्षकों को वेतन का भुगतान कराया गया है।

जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार ने बताया कि तकनीकी खराबी आने के कारण दिसंबर माह के वेतन में विलंब हो रहा है। दो-तीन दिन में संभवत: तकनीकी खराबी दूर कर सभी का भुगतान करा दिया जाएगा।

नालंदा: वेतन के लिए चरणबद्ध आंदोलन करेंगे कॉलेज शिक्षाकर्मी

संबद्ध डिग्री महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षाकर्मियों के लिए परीक्षा परिणाम आधारित अनुदान के बदले वेतन-संरचना निर्धारित कर प्रतिमाह वेतन भुगतान आदि मांगों को लेकर  प्रदर्शन करेंगे।

पच्चीस हजार शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी पांच फरवरी को राज्य के सभी विश्वविद्यालय मुख्यालयों पर धरना एवं प्रदर्शन करेंगे। इसके साथ ही 10 से 14 फरवरी तक पटना में धरना प्रदर्शन करेंगे। बजट सत्र के दौरान अनिश्चितकालीन धरना, प्रदर्शन एवं घेराव करेंगे।

बिहार राज्य संबद्ध डिग्री महाविद्यालय शिक्षक शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ (फैक्टनेब) के अध्यक्ष सह जीडीएम कालेज के प्राचार्य डॉ. शंभुनाथ प्रसाद सिन्हा ने बताया कि बीते पांच दिसंबर से चलाए जा रहे हस्ताक्षर अभियान के तहत लगभग पच्चास हजार हस्ताक्षरित कागजात विश्वविद्यालय, जिला एवं महाविद्यालयों के पदाधिकारियों ने महासंघ को उपलब्ध कराया गया है। यह अभियान जन सहयोग से लगातार चलाया जा रहा है।

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